शिक्षिका को 34 साल की सेवा के बाद निष्कासित करने का आदेश रद्द
हाईकोर्ट के निर्णय से गोंदिया जिला परिषद को झटका
नागपुर/दि. 26– जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत न किए जाने से भटक्या जनजाति प्रवर्ग की शिक्षिका को 34 साल की सेवा के बाद निष्कासित करने का गोंदिया जिला परिषद का विवादास्पद आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने अवैध ठहराकर रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति अविनाश घरोटे व मुकुलिका जवलकर ने यह फैसला सुनाया. संबंधित शिक्षिका का नाम संगीता मौजे है.
जानकारी के मुताबिक जिला परिषद के सीईओ ने शिक्षिका संगीता मौजे को 8 अगस्त 2023 को सेवा से बर्खास्त कर दिया था. इस कारण उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उनके वकील एड. शैलेश नारनवरे ने विविध कानूनी मुद्दो की तरफ न्यायालय का ध्यान केंद्रित कर यह आदेश अवैध रहने की बात सिद्ध की. मौजे के पास ढिवर जाति का प्रमाणपत्र है. उस आधार पर उनकी 3 अक्तूबर 1989 को भटक्या जनजाति प्रवर्ग से सहायक शिक्षक पद पर नियुक्ति की गई. इस नियुक्ति को कानूनी मंजूरी भी दी गई. उस समय जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की शर्त नहीं थी. इस कारण मौजे ने जाति प्रमाणपत्र की जांच नहीं करवाई. साथ ही जिला परिषद ने भी इसके लिए जाति प्रमाणपत्र जांच समिति के पास दावा दाखिल नहीं किया. इस परिस्थिति में जिला परिषद को उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है, ऐसा एड. नारनवरे ने कहा. उच्च न्यायालय को इन मुद्दो में गुणवत्ता दिखाई देने से बर्खास्तगीका विवादास्पद आदेश रद्द किया गया. साथ ही जिला परिषद को मौजे के जाति प्रमाणपत्र के जांच करने के निर्देश दिए गए.
* बेटे के पास है वैधता प्रमाणपत्र
संगीता मौजे के बेटे को 11 अगस्त 2020 को ढिवर भटक्या जनजाति का वैधता प्रमाणपत्र जारी किया गया है. उन्होंने यह बात जिला परिषद प्रशासन के प्रकाश में ला दी थी. लेकिन इस ओर अनदेखी की गई. मौजे 30 जून 2026 को सेवानिवृत्त होनेवाली है. इस कारण उनके लिए यह निर्णय राहत की सांस लेनेवाला साबित हुआ है.