विदर्भ

वाहनों के ट्रांसफर में ओटीपी सिस्टम बना मुसीबत

आरटीओ के नए नियम से वाहन खरीदार परेशान

नागपुर/प्रतिनिधि दि.१७ – आरटीओ में नए ओटीपी सिस्टम के तहत वाहनों की खरीद-बिक्री में दिक्कतें आ रही हैं. महीनों तक गाडियों की ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है. इसका मुख्य कारण 80 प्रतिशत वाहन धारकों ने फेक मोबाइल नंबर डाल रखे हैं, जिससे जनरेट होनेवाला ओटीपी फेक नंबर पर जा रहा है, जिससे बाधा उत्पन्न हो रही है. इससे नंबर अपडेट करने में भी मुश्किलें आ रही हैं.
वर्तमान समय में पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री काफी बढ गई है. एक ओनर से गाडी खरीदने वाला उसे अपने फोन नंबर पर कर लेता है, जिसके बाद गाडी से संबंधित किसी भी मामले में दूसरा ओनर जिम्मेदार रहता है. लेकिन इन दिनों पुराने वाहनों के ट्रांसफर में परेशानी हो रही है. हाल ही में सरकार ने एक नया नियम लागू किया है, जिसके अंतर्गत पुरानी गाडी की खरीदारी के दौरान गाडी के पहले ओनर के मोबाइल नंबर पर ओटीपी जाता है, जिसके बताने के बाद ही गाडी के ट्रांसफर की प्रक्रिया आगे बढती है. यह मोबाइल नंबर बदल जाने से ओटीपी का सत्यापन नहीं हो पा रहा है.
सूत्रों की मानें तो पहले फोन नंबर की कोई खास अहमियत नहीं होती थी, जिसके कारण गाडी मालिक अपने मनमुताबिक कोई भी नंबर इसमेें डाल देते थे. अब नए नियम के बाद यह नंबर दिक्कतें पैदा कर रही है. गाडी दूसरे मालिक के नाम पर करने की प्रक्रिया के दौरान इस पुराने नंबर पर जाने वाला ओटीपी किसी को नहीं मिल रहा है. इससे बचने के लिए पहले डाले गए नंबर पर जाने वाला ओटीपी किसी को नहीं मिल रहा है. इससे बचने के लिए पहले डाले गए नंबर को बदला जा सकता है, लेकिन यह नंबर आधार कार्ड से लिंक होना जरुरी है. कई वाहन धारकों के नंबर लिंक नहीं है. किसी का लिंक है भी, तो सिस्टम उसे स्वीकार नहीं कर रहा है, जिसके कारण महीनों तक गाडी ट्रांसफर नहीं हो पा रही है.

ओटीपी का नया सिस्टम लागू हुआ है, लेकिन इससे गाडियों के ट्रांसफर की कोई दिक्कत नहीं है. शहर आरटीओ में ट्रांसफर की कोई गाडी प्रलंबित नहीं है.
– विनोद जाधव, उपप्रादेशिक परिवहन अधिकारी, शहर आरटीओ, नागपुर

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