रिजर्व बैंक के निर्देशों की अनदेखी से बैंकों में घोटाले
युको बैंक घोटाला मामले को लेकर हाईकोर्ट में हलफनामा पेश

नागपुर/प्रतिनिधि दि.२४ – रिजर्व बैंक की ओर से समय-समय जारी किये जानेवाले निर्देशों का कडाई से पालन नहीं किये जाने के चलते बैंकों में आर्थिक घोटालों का प्रमाण बढा है. इस आशय की सनसनीखेज जानकारी मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ को दी गई है.
बता दें कि, युको बैंक के 25 करोड रूपये से संबंधित कर्ज घोटाले का मामला हाईकोर्ट के सामने सुनवाई हेतु प्रलंबित है. जिसमें रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिज्ञापत्र पेश करते हुए उपरोक्त जानकारी दी गई है. इस हलफनामे में कहा गया है कि, घोटालों के तरीकों को लेकर सभी बैंकों ने जागरूक रहने के साथ ही लगातार संपर्क व साधान रहना चाहिए. इस बात के मद्देनजर रिजर्व बैंक द्वारा इससे पहले उजागर हुए घोटालों की जानकारी प्रकाशित की जाती है. साथ ही बैंकों में आर्थिक घोटाले न हो पाये, इसके लिए समय-समय पर मार्गदर्शक दिशानिर्देश भी जारी किये गये है. ऐसे में किसी भी आर्थिक गडबडी का पता लगने पर संबंधित बैंक द्वारा तुरंत ही रिजर्व बैंक को इसकी जानकारी देना जरूरी है, ताकि घोटालेबाजों को तुरंत खोजकर घोटाले की रकम को वापिस वसूल किया जा सके. किंतु मार्गदर्शक तत्वों का कडाई से पालन ही नहीं किया जाता. जिसकी वजह से आर्थिक घोटाले व गडबडियां होते रहते है, ऐसा रिजर्व बैंक का कहना है.
बता दें कि यूको बैंक की वर्धा व हिंगणघाट शाखा में 25 करोड रूपये का कर्ज घोटाला उजागर हुआ है. जिसकी जांच हेतु सीबीआई द्वारा विशेष पथक की स्थापना की गई और जांच में यूको बैंक के 7 अधिकारियों के खिलाफ घोटाले के सबूत भी प्राप्त हुए है. न्यायालय द्वारा इस मामले को अंतिम छोर तक ले जाने हेतु स्वसंज्ञान लेकर याचिका दाखिल की गई है.
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आरबीआई को जांच का अधिकार नहीं
रिजर्व बैंक के पास बैंकों में होनेवाले आर्थिक घोटालों की जांच करने का अधिकार नहीं होता, बल्कि इसके लिए स्वतंत्र जांच एजेंसी के पास शिकायत दर्ज करानी होती है. जिसके पश्चात संबंधित जांच एजेंसी द्वारा आरोपी के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा दायर किया जाता है. ऐसा भी आरबीआई द्वारा अदालत को बताया गया.
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अगली सुनवाई छह सप्ताह के बाद
गत रोज इस मामले पर न्या. विनय देशपांडे व न्या. अमित बोरकर की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. जिसके बाद अदालत ने रिजर्व बैंक के हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए छह सप्ताह बाद इस मामले की सुनवाई करना निश्चित किया. एड. रजनीश व्यास द्वारा इस मामले में न्यायालय मित्र के तौर पर काम किया गया.