स्त्री शिक्षा के प्रति पालकों को अपने विचार बदलने चाहिए
अनिल तायडे सावित्रीबाई फुले आदर्श पालक पुरस्कार से सम्मानित
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प्राचार्य डॉ. विजय दरणे का प्रतिपादन
नांदगांव पेठ/दि.4 – स्त्री शिक्षा के प्रति पालको में रहनेवाली संभ्रम अवस्था तथा उनसे आनेवाली अडचने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों में महाविद्यालयीन शिक्षा खंडित होने का प्रमाण अधिक है. पालक यदि स्त्री शिक्षा के प्रति अपनी मानसिकता बदले तो सच्चे अर्थो में सावित्रीबाई फुले को अभिप्रेत रहनेवाली शिक्षापध्दति अमल में लाने को समय नहीं लगेगा, ऐसा प्रतिपादन स्व. दत्तात्रय पुसदकर कला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विजय दरणे ने सोमवार को सावित्रीबाई फुले की जयंती निमित्त आयोजित आदर्श पालक पुरस्कार कार्यक्रम के समय किया. इस अवसर पर वे अध्यक्ष रूप में बोल रहे थे.
स्व. दत्तात्रय पुसदकर कला महाविद्यालय की सभागृह में सोमवार को सावित्रीबाई फुले की जयंती दिन का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. विजय दरणे थे. सत्कार के रूप में पालक अनिल तायडे प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ. वैशाली वानखडे, पत्रकार मंगेश तायडे, रासेया के कार्यक्रम समन्वयक प्रा. डॉ. गोविंद तिरमनवार मंच पर उपस्थित थे. सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा का पूजन व हारार्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई .सावित्रीबाई फुले की जयंती निमित्त हर साल महाविद्यालय की ओर से सावित्रीबाई फुले आदर्श पालक पुरस्कार का वितरण किया जाता है. विपरित परिस्थितियों में भी अपनी लड़कियों की शिक्षा के लिए संघर्ष करनेवाले पालको को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. सम्मानपत्र और नगद रकम ऐसा पुरस्कार है. इस साल नांदुरा लष्करपुर में पालक अनिल तायडे को यह पुरस्कार उपस्थित मान्यवरों के हाथों बहाल किया गया. विद्यार्थी उत्तरदायित्व निधी अंतर्गत महाविद्यालय के जरूरतमंद विद्यार्थियों को गणवेश व शैक्षणिक साहित्य की मदद की गई.
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक वृंद शिक्षकेत्तर कर्मचारी, विद्यार्थी अधिक संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनिता बालापुरे ने किया तथा आभार प्रदर्शन डॉ. विकास अडलोक ने किया.