पश्चिम महाराष्ट्र में वेतन आयोग लागू, विदर्भ को भूली सरकार
अनुदानित आयुर्वेद कॉलेज के डॉक्टर-कर्मियों पर अन्याय
नागपुर/दि.22 – राज्य सरकार पर अक्सर विदर्भ पर अन्याय करने के मामले अक्सर सामने आते हैं. विकास कार्यों को लेकर भेदभाव के आरोप लगना भी आम है, लेकिन अनुदानित आयुर्वेद अस्पतालों के साथ जो हो रहा है वह तो आश्चर्यजनक है. पश्चिम महाराष्ट्र में इन अस्पतालों के डॉक्टर एवं कर्मियों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन दिया जा रहा है. जबकि विदर्भ में अब तक यह लागू नहीं हो सका है. राज्य सरकार ने 18 मई 2021 को जीआर जारी कर जुलाई 21 से प्रदेश के सभी अनुदानित आयुर्वेद अस्पतालों में सातवां वेतन आयोग लागू करने का ऐलान किया था. जनवरी 16 से दिसंबर 19 तक का बकाया देने का भी फैसला किया. मुंबई एवं पश्चिम महाराष्ट्र में इसके अनुसार वेतन देना आरंभ हो गया. लेकिन विदर्भ के डॉक्टर-कर्मचारी अब तक इससे वंचित हैं. उनका कहना है कि, सरकार उन पर अन्याय कर रही है.
…तो वापस हो जाएगी निधि
राज्य सरकार ने वेतन आयोग को लागू करने के लिए निधि आवंटित कर रखी है. लेकिन अब तक उसके मुताबिक वेतन नहीं दिया जा सका है. 31 मार्च को यह निधि वापस चली जाएगी. अगर ऐसा हुआ तो अगले छह महीनों में आयोग के लागू होने की संभावना समाप्त हो जाएगी.
विदर्भ के लिए नहीं बन सका फार्मूला
प्रशासन का दावा है कि, वेतन आयोग की सिफारिश के लिए अब तक विदर्भ में फार्मूला नहीं बन सका है, यह दावा आश्चर्यजनक है क्योंकि अगर पश्चिम महाराष्ट्र में वेतन देने का फार्मूला तय है, तो विदर्भ के लिए फार्मूले कैसे नहीं हो सकता उधर कर्मचारी इसके लिए सहायक आयुर्वेद निदेशक को जबाबदार मान रहे हैं.