विदर्भ

आरटीई नियमो में बदलाव क्यों किया?

दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के उच्च न्यायालय के निर्देश

नागपुर/दि.25– महाराष्ट्र शासन के बदले आरटीई नियमों के कारण अंग्रेजी माध्यम की नीजि शालाओं में प्रवेश कठिन हो गया है. इस कारण पालको में संतोष का वातावरण है. इस नए नियम को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी गई है. न्यायालय ने राज्य शासन को नोटिस देकर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए है.

शिक्षण अधिकार (आरटीई) कार्यकर्ता वैभव कांबले, वैभव एडके, राहुल शेंडे, अनिकेत कुत्तरमारे ने यह जनहित याचिका दायर की है. इस प्रकरण पर न्यायमूर्ति नितिन सांबरे और न्यायमूर्ति अभय मंत्री की बेंच के सामने सुनवाई हुई. याचिका के मुताबिक आरटीई अंतर्गत वंचित, दुर्बल, सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे घटको के विद्यार्थियों को 25 प्रतिशत आरक्षित सीटो पर प्रवेश दिया जाता है. शालेय शिक्षा विभाग ने इस बार आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया है. इसके मुताबिक विद्यार्थियों के निवासस्थान से एक किलोमीटर तक अनुदानित शाला, शासकीय शाला, स्वानीय स्वराज्य संस्था की शाला में प्रवेश दिया जानेवाला है.

इसके पूर्व हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि राज्यो में नीजि शालाओं में छूट देनेवाले नियम वहां की सरकार ने तैयार किए. लेकिन वैसे नियम उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने का दाखिला न्यायालय को दिया गया. 2009 के आरटीई कानून के मुताबिक नीजि बिना अनुदानित शालाओं को छूट नहीं दी जा सकती. नीजि शालाओं को समय पर मुआवजा दिया तो उनका भी विरोध नहीं होगा. राज्य सरकार के नए नियम गैरकानूनी व अन्यायकारक रहने का आरोप याचिकाकर्ता ने किया है. याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ विधिज्ञ जयना कोठारी ने पक्ष रखा. उन्हें एड. दीपक चटप, एड. पायल गायकवाड, एड. ऋषिकेश भोयर ने सहयोग किया.

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