अदानी समूह की कोयला खदान को अनुमति?
गोंडखैरी के नागरिकों को अंधेरे में रखकर निर्णय लेने की चर्चा
नागपुर/दि.25– उपराजधानी से महज 20 किलोमीटर दूर कलमेश्वर तहसील के गोंडखैरी में अदानी ग्रुप की कोयला खदान प्रस्तावित है. जुलाई में पर्यावरण अभ्यासकर्ताओं और ग्रामीणों द्वारा खदान पर एक सार्वजनिक सुनवाई को अवरुद्ध कर दिया गया था. लेकिन अब इस खदान को इजाजत मिलने की चर्चा जोरों पर है.
यह खदान पूरी तरह भूमिगत करने का प्रस्ताव है. लेकिन अभी इसे नागरी नियोजन संस्था की ओर से अथवा नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण द्वारा मंजूरी मिली नहीं है. किसानों और भूस्वामियों सहित स्थानीय नागरिक, क्षेत्र में सभी कोयला आधारित परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं. खनन क्षेत्र में 24 ग्राम पंचायतें तथा पर्यावरणविदों का इस खदान को विरोध है. जनसुनवाई में विधायक सुनील केदार ने पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट मराठी में पेश करने की भी मांग की. नियम का पालन नहीं करने पर उन्होंने अदानी ग्रुप के प्रतिनिधि और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल की खिंचाई की थी. उसके बाद ग्रामीण और पर्यावरणविद ने इस जनसुनवाई पर आपत्ति जताई थी. हालांकि, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अभी भी जनसुनवाई रद्द होने की बात मानने को तैयार नहीं हैं. उल्टे उन्होंने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि हमने बैठक का ब्योरा भेजा था. इसलिए हमारी जिम्मेदारी खत्म हुई.
* इतनी गोपनीयता क्यों?
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण ने कहा, हमने 13 जुलाई की सार्वजनिक सुनवाई के रिपोर्ट भेजी थी. वहीं दूसरी ओर इस खदान का रास्ता साफ होने की चर्चा है. प्रत्यक्ष में यह जनसुनवाई हुई ही नहीं. इसलिए रिपोर्ट यानि निश्चित रूप से क्या भेजा, इस बारे में नागरिकों को पता होना चाहिए. इस खदान संदर्भ में इतनी गोपनीयता क्यों रखी जा रही है? पर्यावरण विशेषज्ञ सुधीर पालीवाल ने कहा कि अगर नागरिकों को अंधेरे में रखकर खनन का रास्ता साफ किया जाता है तो यह गलत है.
हमें नहीं पता कि खदान स्वीकृत हुई है या नहीं. हमारा काम जनसुनवाई आयोजित करना था, जो हमने किया. उस दिन जो कुछ भी हुआ, हमने उसका ब्यौरा वरिष्ठ कार्यालय को भेज दिया और वहां से केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेज दिया.
-हेमा देशपांडे, प्रादेशिक अधिकारी,
भाजपा की सरकार होने पर और क्या अपेक्षा करेंगे? नागरिकों को अंधेरे में रखकर अदानी की कोयला खदान का रास्ता साफ किया गया होगा, तो इसका जबाब हम निश्चित मांगेंगे.
-सुनील केदार, विधायक, कांग्रेस
* आठ गांव होंगे बाधित
यह खदान 862 हेक्टेयर में होगी. 30 वर्ष की अवधि में प्रति वर्ष 20 लाख टन कोयले का उत्पादन अनुमानित है. लेकिन इस खदान के कारण कलमेश्वर तहसील के गोंडखैरी, कलंबी, पेंढरी, सुराबर्डी, नांदा, कार्ली, आलेसूर और वर्धमना यह आसपास के आठ गांव सबसे अधिक प्रभावित होंगे.