विदर्भ

विवाह का प्रलोभन देकर शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं

High Court ने कहा, सात साल बात पुलिस में दी शिकायत

नागपुर/दि.19 – विवाह का प्रलोभन देकर प्रस्थापित किये शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं होते, इस तरह का स्पष्टीकरण नागपुर खंडपीठ ने दिया है. विवाह का प्रलोभन देकर अत्याचार करने के मामले में पूरे सात वर्ष बाद 25 वर्षीय युवती ने आरोपी के खिलाफ दाखल किया हुआ अपराध न्यायमूर्ति झेड.ए.हक व न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने रद्द किया.
पवन गणेश चौरागडे (30, आकोटखेड, जिला अकोला) यह अपराध दर्ज हुए युवक का नाम है. 2012 में आरोपी व युवती एक विवाह समारोह में मिले थे. उनकी पहचान हुई, एक दूसरे को मोबाइल नंबर देने के बाद उनके बिच मित्रता हुई. यह मित्रता प्रेम संबंधों में तब्दील हुई. आरोपी ने विवाह का प्रलोभन देकर अत्याचार किया, इस तरह का आरोप उसने पहले अमरावती के गाडगे नगर पुलिस थाने में जनवरी 2019 में दर्ज शिकायत में किया. किेंतु अत्याचार की घटना परतवाडा में घटीत होने से अमरावती से मामला परतवाडा पुलिस थाने में स्थानांतरित किया गया. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादंवि की धारा 376 (एन), 2, 417, सेक्शन 3, 4, एट्रासिटी एक्ट अंतर्गत अपराध दर्ज किया था. अपराध रद्द करने के लिए आरोपी ने हाईकोर्ट में अर्जी की. बचाव पक्ष ने कहा कि आरोपी ने युवती को कोई भी विवाह का प्रलोभन नहीं दिया. युवती 25 से 26 आयुगुट की है. आरोपी व युवती की सहमति से शारीरिक संबंध हुए है. जिससे इसे विवाह का प्रलोभन देकर अत्याचार किया, ऐसा नहीं कहते आता. साथ ही शिकायत यह 7 वर्ष बाद दी गई थी. हाईकोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीले ग्राह्य मानकर आरोपी के खिलाफ दर्ज किया अपराध रद्द किया है. आरोपी की ओर से एड.अजय मदने व फरियादी की ओर से एड.सुंदरी चक्रनारायण ने पक्ष रखा.

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