विदर्भ

निजी अस्पताल को उपचार शुल्क निर्धारित करने वाले अधिसूचना पर स्थगिति

हाईकोर्ट का सरकार को फटका

नागपुर प्रतिनिधि/दि.२६ – निजी अस्पताल, नर्सिंग होम्स व क्लिीनिक्स को कोरोना मरीज और कोरोना न रहनेवाले मरीज से उपचार शुल्क निर्धारित करनेवाले विवादग्रस्त अधिसूचना पर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने शुक्रवार को अंतरिम स्थगिती दी . जिसके कारण राज्य सरकार को जोरदार फटका बैठा तथा जिससे निजी अस्पताल को राहत मिली है.
इस मामले में न्यायमूर्तिद्वय रवि देशपांडे व पुष्पा गणेडीवाल के समक्ष सुनवाई हुई.राज्य सरकार ने २१ मई २०२० को विवादग्रस्त अधिसूचना जारी की है. उस अनुसार निजी अस्पताल, नर्सिंग होम्स व क्लीनिक्स को कोरोना मरीज व कोरोना न रहनेवाले मरीज पर उपचार की दर निर्धारित की है. उसके विरूध्द हॉस्पिटल्स असोसिएशन नागपुर व डॉ. प्रदीप अरोरा ने उच्च न्यायालय में याचिका दर्ज की है. राज्य सरकार को निजी अस्पताल को उपचार की दर निश्चित कर देने का अधिकार नहीं है, ऐसा याचिकाकर्ताओं का कहना हैे.
इस मामले में न्यायालय ने राज्य सरकार को १३ अगस्त को नोटिस दी थी. उसके बाद सरकार को अधिसूचना पर भूमिका स्पष्ट करने के लिए फिर से तीन-चार बार अवसर दिया तथा १५ सितंबर को विवादग्रस्त अधिसूचना पर स्थगिती देने की तबाही दी थी. परंतु सरकार ने उत्तर नहीं दिया. परिणामस्वरूप न्यायालय ने सरकार को फटका दिया. इस मामले में अब २९ सितंबर को अगली सुनवाई निश्चित की गई है. उस समय अधिसूचना की वैधता सिध्द करे, ऐसा निर्देश न्यायालय ने सरकार को दिया. इस मामले में न्यायालय ने मित्र वरिष्ठ वकील अॅड. सुबोध धर्माधिकारी ने न्यायालय को विविध कानून मामले पर सहयोग किया. महानगरपालिका द्वारा एड. जेमिनी कासट ने कामकाज देखा.

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