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परतवाडा की बड़ी कुटिया में सेवा करते थे प्रेमदास महाराज

हनुमानगढ़ी अयोध्या का परतवाड़ा से संबंध

  • स्पेशल स्टोरी – मिलिए विदर्भ के गुरु पहेलवान से

  • बड़ी कुटिया में राम दरबार की सेवा करते थे प्रेमदास महाराज

  • पूर्व नगराध्यक्ष रंगू पहेलवान के साथ करते थे जोर -आजमाइश

परतवाड़ा/अचलपुर/प्रतिनिधि दि. ६   – 6 अगस्त , बुधवार को अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बजरंगबली के दर्शन कर रामलला के आशीर्वाद की अनुमति ले रहे थे । तब हनुमानगढ़ी के जिस आचार्य ने पीएम मोदी को साफा और मुकुट पहनाकर सम्मानित किया वो धर्माचार्य प्रेमदासजी महाराज अपने जमाने के सुख्यात पहेलवान भी है । प्रेमदास महाराज का परतवाड़ा से काफी निकट और पारिवारिक संबंध आज तक बना हुआ है । महावीर हनुमान के परम भक्त प्रेमदास जी ने सन 90 से 95 के बीच का कार्यकाल परतवाड़ा में ही बिताया है । राष्ट्राचरीत के वैश्विक आयोजन पर जब परिचित लोगो ने टीवी पर प्रेमदास महाराज को पीएम का सत्कार करते हुए देखा तो शुभचिंतक और मित्रो को खुशी का कोई ठिकाना नही रहा । प्रेमदास जी ने परतवाड़ा के छोटा बाजार स्थित खाकी बाबा , बड़ी कुटिया मंदिर में कुछ वर्ष अंजनीनंदन की सेवा में समर्पित किये है । बड़ी कुटिया में प्रेमदास जी के चाचा रामशरनदास यह पुजारी और पुरोहित्व के ओहदे पर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते रहे । चाचा ही प्रेमदास जी के गुरु भी है । ताजा स्थिति में बड़ी कुटिया के हाल में प्रेमदास जी की एक बड़ी तस्वीर भी लगी है ।
वर्तमान में कुटिया के पुजारी श्रीकृष्ण तिवारी बताते है कि यह मंदिर तीन दशक से ज्यादा प्राचीन है । राम दरबार की प्रतिमाएं भी ऐतिहासिक धरोहर कही जा सकती है । बड़ी कुटिया में प्रभु चरणों मे अपनी सेवाएं अर्पण कर चुके महानुभावों में बलदेवदास , महावीरदास , रामेश्वरदास और रामशरनदास प्रमुख है । यही रामशरण जी हनुमानगढ़ी के प्रेमदास जी के गुरु और चाचा भी है । फिलहाल रामशरनदास भी अयोध्या के ही किसी अन्य मंदिर में अपने ब्राह्मणत्व से लोगो का मार्गदर्शन कर रहे । वहीं प्रेमदास जी स्वयं हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन है । रामभक्त हनुमानजी की सेवा और उनके मंगलगान में ही महाराज का अधिकतर समय बीतता है ।

एक बेहतरीन पहेलवान और मेरे गुरु है प्रेमदास जी –  नगर पालिका अचलपुर के पूर्व नगराध्यक्ष और अपने जमाने के चर्चित पहेलवान , गुरु हनुमान दिल्ली इनके शिष्य रंगलाल नंदवंशी उर्फ रंगू पहेलवान ने कल अयोध्या हनुमानगढ़ी के प्रसंग को लेकर ‘अमरावती मंडल’ से अपनी कई सारी यादे सांझा की । रंगू भैय्या ने बताया कि सन 90 से 95 का वक्फा प्रेमदासजी के सानिध्य में बिताने का परम सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है ।वो अपने नाम के अनुरूप ही अत्यंत प्रेमी , मृदुभाषी , हँसमुख , और सरल व्यक्त्तित्व के स्वामी है । अहंकार , अकड़ , घमंड से उनका कोई नाता नही रहा । प्रेमदासजी मेरे पारिवारिक सदस्य जैसे ही एक है । आध्यात्मिक और कुश्ती दोनों ही रूप में वो मेरे श्रधेय गुरु है । रंगू भैय्या आगे बताते है कि जब प्रेमदासजी यह परतवाड़ा में वास्तव्य कर रहे थे उस वक्त वो पूरे विदर्भ और मध्यप्रदेश में कुश्ती के सुपर स्टार रहे । उनकी जोड़ में कोई ऐसा पहेलवान नही मिला जिसने प्रेमदासजी को चित्त किया होंगा । अमरावती , आकोला , नागपुर , यवतमाल , बैतूल , खंडवा , बुरहानपुर आदि सभी जगहों पर आयोजित होती इनामी कुश्तियों से प्रेमदासजी सदैव विजयी होकर ही लौटे । स्थानीय नपा के सामने हनुमान अखाड़े में प्रेमदासजी मेरे ( रंगू पहेलवान ) साथ जोर आजमाइश करते थे ।वो अध्यात्म और भविष्य के ज्ञानी पुरुष है । मेरे छोटे पुत्र पप्पू उर्फ पवन को वो अपने साथ अयोध्या ले जाना चाहते थे । मैने पुत्रमोह में इस प्रस्ताव से इंकार कर दिया । पवन कर सन्दर्भ में प्रेमदासजी भविष्यवाणी कर गए थे कि आपका यह पुत्र बहुत ही होनहार निकलेगा और नाम रोशन करेंगा । उनके कथन अनुसार वैसा ही हुआ भी । पवन अमरावती विद्यापीठ अंतर्गत मल्ल क्रीड़ा का परिचित योद्धा बन चुका है । पवन को अभी तक कई पदक और कलर कोट प्राप्त हो चुके ।रंगू पहेलवान के मुताबिक आज मुझे पछतावा होता है कि उस वक्त यदि मैं पप्पू को प्रेमदासजी को सौप दे रहा तो आज मेरा पुत्र सिर्फ राष्ट्रीय स्तर ही नही अपितु अंतरराष्ट्रीय रेसलिंग में अपना मुकाम जरूर बना चुका होता । रंगू भैय्या कहते है कि हमारा परिवार आज भी उनके संपर्क में है और उन्हें जब भी कोई काम रहा य्या फिर कुछ स्मरण हुआ तो वो परतवाड़ा में आते -जाते हो रहते है ।

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