विदर्भ

कपास पर आयात शुल्क हटाने हेतु सरकार पर दबाव

सीओसीपीसी, सीएआय व सीमा का समर्थन, कॉटन ब्रोकर एसोसिएशन का विरोध

नागपुर/दि.22– टेरिफ वॉर के बाद भारत ने अमरिका की कपास पर लगनेवाले आयात शुल्क को पूरी तरह से हटा देना चाहिए, इस आशय की मांग करते हुए कपास उत्पादन व प्रयोग समिति (सीओसीपीसी), कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआय) एवं साऊथ इंडिया मिल्स एसोसिएशन (सीमा) ने केंद्र सरकार पर दबाव निर्माण करना शुरु कर दिया है. वहीं ऑल इंडिया कॉटन ब्रोकर एसोसिएशन ने कपास पर लगनेवाले 11 फीसद आयात शुल्क को रद्द किए जाने का विरोध किया है.
भारत में कपास का उत्पादन लगातार घट रहा है. जारी वर्ष में कुल 290 लाख गांठ कपास का उत्पादन होने का अनुमान सीएआय द्वारा जताया गया है. देश में कपास का प्रयोग एवं मांग 315 लाख गांठ का है. ऐसे में कम उत्पादन के चलते देश का वस्त्रोद्योग संकट में आ सकता है. अत: कपास पर लगनेवाले आयात शुल्क को पूरी तरह से रद्द किया जाए तथा ऐसा करना संभव नहीं रहने पर इसे एक माह के लिए हटाया जाए. ताकि भारत व अमरिका के संबंध और अधिक मजबूत हो, यह बात तीनों संगठनों द्वारा सरकार को बताई जा रही है.
उधर ऑल इंडिया कॉटन ब्रोकर एसोसिएशन द्वारा कहा जा रहा है कि, आयात शुल्क को हटाने अथवा कम करने पर कपास की आयात बढेगी. जिससे कपास के दामों पर दबाव बनेगा और भारतीय कपास उत्पादकों का बडे पैमाने पर आर्थिक नुकसान होगा. साथ ही देश के जिनिंग-प्रेसिंग व स्पिनिंग उद्योग पर भी इसका विपरित परिणाम पडेगा. अत: आयात शुल्क को कायम किया जाए. साथ ही देश में कपास की उत्पादकता, उत्पादन व अतिरिक्त लंबे धागे वाली कपास का उत्पादन बढाकर आत्मनिर्भर होने पर जोर दिया जाना चाहिए.

* दाम में फर्क
इस समय रुई के दाम अमरिका में प्रति खंडी 48 से 50 हजार रुपए तथा भारत में प्रति खंडी 53,700 से 55,550 रुपए है. 11 फीसद आयात शुल्क को जोडकर अमरिका के रुई के दाम 58 हजार रुपए प्रति खंडी पर पहुंचते है और आयात शुल्क रद्द करने के बाद पैकिंग, ढुलाई व अन्य खर्च जोडने पर यह दाम 51 से 54 हजार रुपए प्रति खंडी पर पहुंचते है. इस फर्क को देखते हुए आयात की जानेवाली रुई सस्ती नहीं पडती.

* अतिरिक्त लंबे धागे पर जोर
भारत में अतिरिक्त लंबे धागे वाले कपास का उत्पादन कम है. हालांकि इसके बावजूद देशांतर्गंत बाजार में धागे वाली रुई के दाम 75 हजार से 77,500 रुपए प्रति खंडी है और यह दाम अमरिकी बाजारों के समांतर है. इस कपास का देश में उत्पादन बढाना सहज संभव है. जिसके लिए अमरिका के समक्ष झुके बिना भारत द्वारा योग्य उपायों पर अमल किया जा सकता है.

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