विदर्भ

सरकारी नौकरी के निजीकरण निर्णय वापस लिया जाए

डीवायएफआई की मांग

नांदगांव खंडेश्वर/दि.25– राज्य सरकार ने सभी क्षेत्र की नौकरी का निजीकरण करने संबंध में निर्णय लेकर स्थायी रोजगार खत्म करने का षडयंत्र किया है. सरकारी नौकरी करने इच्छुक युवाओं के सपने को चूर कर दिया है. संविधान ने दिया आरक्षण पूरी तरह से ठप करने का काम किया जा रहा है. इन जनविरोधी, कामगार विरोधी सरकारी निर्णय का तीव्र विरोध डेमॉक्रॅटिक युथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ( डीवायएफआई) ने किया. इस संबंध में तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा.तथा यह निर्णय रद्द करने की मांग की गई. ज्ञापन में कहा गया कि, सरकारी नौकरियों का निजीकरण और आउटसोर्सिंग करने का निर्णय निजी संस्था को सरकारी विविध विभाग में भर्ती करने की खुली छूट दे रहा है. 85 से अधिक अधिक संवर्ग, अभियंता से सिपाही आदि विविध संवर्ग के पद, स्थानीय निकाय संस्था, विविध शासकीय, अर्ध सरकारी विभाग में ठेकेदारों के माध्यम से भर्ती की जाएगी. पहले ही एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज जैसी संस्था बंद पडी है. एक ओर जहां राज्य में मराठा, ओबीसी आरक्षण आंदोलन शुरु है, वहीं राज्य सरकार ने पदभर्ती का निजीकरण करने का निर्णय लेकर बेरोजगारों पर अन्याय किया है. राज्य की 62 हजार जिला परिषद शालाओं को दत्तक योजना के नाम पर निजीकरण का निर्णय सरकार ने लिया है. ठेका पद्धती से पदभर्ती व 62 हजार जिप शाला के निजीकरण का निर्णय रद्द करें, इस आशय का ज्ञापन तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा गया. ज्ञापन देते समय डीवायएफआय के जिला उपाध्यक्ष अंकेश खंडारे, किशोर शिंदे, अब्दुल राजिक, अंकुश शिंदे, दिनेश बावणे, चेतन उईके, अमोल शिंदे, शुभम मोकलेकर, ऋषिकेश मारोटकर, अमित राऊत, धीरज कालबांडे, राजगुरू शिंदे, सुनील लोमटे, ज्ञानेश्वर मारोटकर उपस्थित थे.

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