विदर्भ

ग्रीष्मकाल में कीट रोगों और धूप से करें बचाव

भरपूर पानी पिएं, जंक फूड का सेवन टालें

* लू बचने सतर्कता बरतना जरूरी
मोर्शी/दि.30– मार्च से अप्रैल के महीने में आमतौर पर सभी लोग कूलर का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कूलर का इस्तेमाल करते समय कूलर की पानी के टब में मच्छर होने की संभावना रहती है, जिससे कीट रोगों का प्रकोप हो सकता है, जिनमें मुख्य रूप से सर्दी का बुखार, डेंगू, चिकनगुनिया से संक्रमित होने की संभावना है. कीट रोगों से बचने के लिए सभी को 8 दिन में एक बार कूलर का पानी बदलना चाहिए. ऐसा करने से परिवार सुरक्षित रहेगा. कीटजन्य बीमारियों से बचने सावधानी व सतर्कत बरतने का आह्वान मोर्शी उपजिला अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारी विनय शेलुरे ने किया है.

* धूप के संपर्क में आने से बचें
गर्मियों में सीधी धूप के संपर्क में आने से बचें. साथ ही नागरिकों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वे धूप में ज्यादा न घूमकर अपने शरीर का तापमान कैसे ठंडा रखें. गर्मी में बाहर निकलने पर सिर ढकना अनिवार्य है. इसके साथ ही आंखों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने के लिए गॉगल या चश्मा भी पहनना चाहिए. गर्मी के दिनों में वातावरण की गर्मी बढ़ जाती है और शरीर में बदलाव आता है.

* लू लगने के लक्षण
लू लगने पर डिहाईड्रेशन, भूख न लगना, गर्मी, एसिडिटी, सिरदर्द, बेचैनी महसूस होना, थकान होना यह लक्षण दिखाई देते है. ये लक्षण व्यक्ति के स्वास्थ्य और आहार के आधार पर कम या ज्यादा हो सकते हैं. लेकिन इस माहौल में ढलना थोडा मुश्किल था. हमारा शरीर इन परिवर्तनों को अपनाता है और शरीर के तापमान को नियंत्रित बनाए रखने की कोशिश करता है. मस्तिष्क का एक भाग हाइपोथैलेमस इस तापमान को नियंत्रित करता है. यदि शरीर में पानी की कमी महसूस होने लगे तो यह संदेश मांसपेशीय तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंच जाता है.

* कई बीमारियों के संक्रमण की संभावना
बरसात के सीजन में तथा शीतकाल की तरह ग्रीष्मकाल में भी कई बीमारियाेंं का संक्रमण होने की संभावना होती है. इसमें उष्माघात, जंतुसंसर्ग, डायरिया, पिलिया, टायफाईड, गोवर, चिकनपॉक्स, नेत्रसंबंधी बीमारी, पथरी आदि स्वास्थ्य समस्याओं का समावेश है.
* ठंडे पदार्थों का आहार में समावेश करना जरूरी
सूर्य की प्रखर किरणों से बचाव करना जरूरी है. इसके लिए कैरी का पना, नींबू शरबत, जिरा शरबत, फलों का ताज ज्यूस, दूध से बनी चावल की खीर, गुलकंद आदि ठंडे पदार्थों का आहार में समावेश करना जरूरी है.

* दिन में कम से कम 6 गिलास पानी पीएं
दिन में कम से कम 5 से 6 गिलास पानी अवश्य पीएं. ग्रीष्मकाल के दिनों में शरीर का पानी पसीने के रूप में बाहर निकलता है. शरीर में पानी की कमी होने पर स्वास्थ्य पर परिणाम हो सकता है. ग्रीष्मकाल के दिनों में भरपूर पानी पीएं. ट्रैवलिंग वॉटर फिल्टर भी इस्तेमाल कर सकते है. अधिकांश लोगों को एक दिन में 5 से 6 गिलास पानी की आवश्यकता होती है और इससे अधिक की भी आवश्यकता हो सकती है. ग्रीष्मकाल में व्यायाम करते समय पसीना आने पर ज्यादा प्यास भी लग सकती है.

गर्मी ज्यादा खाने की इच्छा नहीं होती. इसलिए आहार हल्का होना चाहिए. चूंकि गर्मियों में खाना जल्दी खराब हो जाता है, इसलिए कामकाजी वर्ग को पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका लंच बॉक्स खराब न हो और इसके बाद ही खाना खाएं. साथ ही गर्म, मसालेदार और भारी भोजन खाने से बचें. क्योंकि गर्मी के दिनों में फलों और सब्जियों के सेवन के दौरान वातावरण और शरीर का तापमान अधिक बढ जाता है. जंक फूड का सेवन टालें. भोजन में संभवत: दाल-चावल, दही, छाछ, सलाद आदि का समावेश करना स्वाथ्य के लिए उत्तम होता है. भोजन से पहले फल खाना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.

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