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हाईकोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला
नागपुर/दि.13 – यदि किसी व्यक्ति के सिने पर उसे जान से मारने के इरादे से बंदूक सटा दी जाती है, तो इसे हत्या के प्रयास का ही मामला माना जाना चाहिए. इसमें इससे कोई मतलब नहीं कि, पीडित व्यक्ति घायल हुआ है अथवा नहीं. यदि पीडित व्यक्ति घायल नहीं भी हुआ है, तो भी उसकी छाती से बंदूक लगाये जाने को उसकी हत्या का प्रयास माना जाना चाहिए. इस आशय का फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा सुनाया गया.
यह मामला अमरावती जिले से वास्ता रखता है. जहां पर 31 अगस्त 2021 की रात 9 बजे आरोपी निखिल प्रकाश घुरडे (30), अमोल अशोक मेश्राम (30) तथा एक अन्य व्यक्ति सोनल कालोनी परिसर में पैलेट गन लेकर खडे थे और इसमें से एक ने रास्ते के किनारे शांतिपूर्ण ढंग से बैठे कुत्ते पर गोली चला दी. जिससे वह कुत्ता जगह पर ही मारा गया. इसी समय मौके से गुजर रहे यश पाटके (21) ने इसके लिए आरोपियों को फटकार लगाते हुए उन्हें इस संदर्भ में टोका. जिससे चीढकर आरोपियों ने पाटके की छाती पर पैलेट गन सटाते हुए उसे गोली मार देने की धमकी दी. ऐसे में पाटके बुरी तरह घबराकर मौके से भाग निकला और तुरंत ही गाडगेनगर पुलिस थाने जाकर अपनी रिपोर्ट दर्ज करायी. पश्चात आरोपियोें के खिलाफ भादंवि की धारा 307, 336, 419 सहित शस्त्र अधिनियम एवं प्राणियों पर कू्ररता प्रतिबंधात्मक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया. पश्चात इस एफआईआर को रद्द करने हेतु आरोपियों ने हाईकोर्ट में गुहार लगायी. इस संदर्भ में दायर याचिका में कहा गया कि, आरोपियों ने बंदूक से गोली नहीं चलाई और फिर्यादी युवक घायल भी नहीं हुआ. अत: हत्या के प्रयास को लेकर दर्ज मामले को रद्द किया जाये.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि, आरोपियों को एक तरह से अपना धाक या वर्चस्व दिखाना था. जिस कुत्ते को उन्होंने गोली मारी वह समाज अथवा परिसर के लिए खतरनाक भी नहीं था. बल्कि अपनी जगह पर शांतिपूर्वक ढंग से बैठा था. वहीं आरोपियों ने जान से मारने के इरादे से ही पीडित की छाती पर बंदूक सटायी. ऐसे में इस बात का कोई टूक नहीं कि, उन्होंने गोली चलायी अथवा नहीं, या पीडित घायल हुआ अथवा नहीं. अत: इस मामले में अपराध रद्द करने का कोई औचित्य नहीं बनता.