विदर्भ

पर्यावरण के लिए नागपुर सहित 5 शहर में ‘रेस टू झिरो’ कैम्पेन

2050 तक कार्बन उत्सर्जन झिरो पर लाने की मुहिम

नागपुर/दि.22 – वातावरण में प्रदुषण कम कर पर्यावरण का संवर्धन करने के लिए जागतिक निर्देशों के अनुसार महाराष्ट्र में भी शर्त शुरु हुई है. ‘रेस टू झिरो’ इस तरह यह मुहिम है. नागपुर समेत 5 प्रमुख शहरों का इसमें समावेश किया गया है. अलग अलग उपक्रम के माध्यम से 2050 तक वातावरण में कार्बन उत्सर्जन झिरो पर लाने के लिए प्रयास किये जाएंगे.
दिनोदिन बढ रहा प्रदुषण व वातावरण बदलाव से भारी परिणाम सजीव सृष्टि पर हो रहा है. नागरिकों को अलग अलग अनुचित बातों को उसके परिणाम सहन करने पड रहे है तथा सरकारों को हर वर्ष करोडों का भुर्दंड सहन करना पडता है. यह सब रोकने के लिए अभी से ही गतिविधि करना आवश्यक हुआ है. उसके अनुसार संयुक्त राष्ट्र व्दारा आगामी नवबंर में इंग्लैड के ग्लासगो में एक आंतरराष्ट्रीय परिषद आयोजित की जा रही है. जागतिक तापमान वृध्दि 1.5 डिग्री सेल्सियस पर मर्यादित रखने के लिए कटीबध्द रहने वाले भारत समेत 40 देश उनके विविध राज्यों से इस दिशा में किये जाने वाले प्रयास रखेंगे. इस योजना के तहत पर्यावरण बचाव के लिए ‘रेस टू झिरो’ इस जागतिक प्रचार मुहिम में सी-40 शहर समेत आंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पुढाकार लिया है. महाराष्ट्र ने भी इसके लिए कमर कसी है. पर्यावरण समस्या हल करने के लिए राज्य के जनता का सहभाग कर मुंबई, पुणे, नाशिक, औरंगाबाद व नागपुर आदि 5 शहरों में संयुक्त उपक्रम अमल में लाने की घोषणा राज्य के पर्यावरणमंत्री आदित्य ठाकरे ने हाल ही में की है.

राज्य को एक वर्ष में 13 हजार करोड का भुर्दंड

पिछले 50 वर्ष में सूखे की संख्या 7 गुना बढ चुकी है तथा बाढ की क्षमता में 6 गुना वृध्दि हुई है, उष्म लहर व सूखे के चलते खेती व उद्योग क्षेत्र का हर एक घटक प्रभावित हुआ है. 2020 इस एक वर्ष में वातावरण बदलाव से घटीत घटनाओं के नुकसान के बदले राज्य सरकार को लगभग 13 हजार करोड का मुआवजा देना पड रहा है.

सौरऊर्जा का इस्तेमाल 25 प्रतिशत पर ले जाने का उद्देश्य

पर्यावरण मंत्री व्दारा दी गई जानकारी के अनुसार अपारंपारिक ऊर्जा स्त्रोत से 17 हजार 385 मेगावैट बिजली निर्मिति का उद्देश्य तय किया गया है. 2025 तक कुल बिजली उत्पादन में से 25 प्रतिशत सौरऊर्जा रहनी चाहिए, हाईड्रोजन सेल जैसे इंधन इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना है. महामार्ग व बंजर जमीन पर सौर पैनल लगाना, जलाशयों पर तैरते सौर पैनल लगाना जैसे नवीनतापूर्ण उपक्रम अमल में लाने का प्रयास किया जाएगा.

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