प्रतिनिधि/ दि.११
नागपुर – बाघों की संख्या बढने के बाद अब वन विभाग आने वाले वक्त में २० बाघों को रेडियो कॉलर लगाएगा, जिससे बाघो का लोकेशन पता करने में आसानी होगी. इससे पहले १२ बाघो को रेडियो कॉलर लगाए गए थे, इस तरह अब ३२ बाघो पर वन विभाग की नजर बनी रहेगी, इससे बाघो के जीवनशैली से जुडे तथ्यों को जानने में विभाग को सहायता मिलेगी. बीते कई वर्षों से बाघो के लोकेशन में बदलाव होता रहा है. मिलो दूर तक सफर तय कर अपना क्षेत्र खोजने वाले बाघो पर नजर रखने के उद्देश्य से बाघो को रेडियो कॉलर लगाए जाते है. गले में लगाए जाने वाले इस पट्टे में छोटी सी मशीन होती है, इससे वन विभाग को सिग्नल मिलता है. इससे बाघो के स्वभाव को लेकर वह अपना क्षेत्र खोजने के लिए कितने किलोमीटर चलते है,जैसी जानकारी रेडियो कॉलर से पता चलती है. हाल ही में एनटीसी ने जारी किये आंकडों में पूरे राज्य में ३१२ बाघों की उपस्थिति बतायी गई है. ऐसे में विभाग व्दारा इस बार २० बाघो को रेडियो कॉलर लगाई जाएगी. जिसमें हर क्षेत्र याने पेंच, ताडोबा, नागझिरा, उमरेड, कांडला आदि क्षेत्रों के बाघ शामिल है. राज्य के जंगलों में अवैध तरीके से शिकार का प्रमाण बढ रहा है. इसमें बाघ का भी समावेश है. रेडियो कॉलर लगाने से शिकार का खुलासा होने में सहायता मिलेगी. कई बार अवैध तरीके से लगाए जाने वाले विद्युत प्रवाहित तारो की फैसिंग से भी बाघों की मौत होती है. इन बाघों को किसानों व्दारा दफनाकर मामले को रफादफा कर दिया जाता है. वर्ष २०१७ में चंद्रपुर जिले में इसी तरह की घटना सामने आयी थी. ऐसे मामलों में रेडियो कॉलर की सहायता मिलेगी, ऐसी जानकारी नागपुर वन विभाग वाइल्ड लाइफ के पीसीसीएफ नितीन काकोडकर ने दी है.