रेल हादसे में मौत होने का मामला
नागपुर/दि.25 – रेलगाडी से हुए हादसे की वजह से मृतक हुए व्यक्ति की पत्नी व बेटे को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने 8 लाख रुपए का क्षतिपूर्ति मुआवजा और उस पर 7.5 फीसद सालाना ब्याज देना मंजूर किया. साथ ही यह रकम अगले 60 दिन के भीतर पीडित पक्ष को अदा करने के निर्देश मध्य रेल्वे विभाग के नाम जारी किए.
बता दें कि, अमरावती जिले के वरुड निवासी नागोराव गडलिंग 9 मई 2015 को नरखेड-भुसावल पैसेंजर में सवार होकर वरुड से बेनोडा जा रहे थे. वे रेल्वे कोच के दरवाजे पर खडे थे और वरुड यार्ड परिसर में धक्का लगकर नीचे गिरने की वजह से उनकी मौत हो गई थी. जिसके बाद उनकी पत्नी निर्मला गडलिंग व बेटे सचिन गडलिंग ने क्षतिपूर्ति मुआवजा मिलने हेतु रेल्वे न्यायाधिकरण में दावा दाखिल किया था. जिसे सुनवाई पश्चात 3 मई 2018 को खारिज कर दिया गया. इस समय रेल्वे न्यायाधिकरण का कहना रहा कि, चलती रेलगाडी से नीचे गिरने वाला कोई भी व्यक्ति ट्रेन के नीचे आकर नहीं कट सकता है. नामदेव गडलिंग के शरीर के ट्रेन के नीचे कटकर दो हिस्से हो गए थे. ऐसे में यह साबित नहीं होता कि, नामदेव गडलिंग ट्रेन से नीचे गिरे थे. साथ ही वे प्रामाणिक प्रवासी भी नहीं थी. अत: इस मामले में क्षतिपूर्ति मुआवजे का दावा नहीं बनता. ऐसे में निर्मला व सचिन गडलिंग मां-बेटे द्बारा इस फैसले के खिलाफ नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. जहां पर न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी (फालके) की एकलपीठ के समक्ष इस याचिका पर सुनवाई हुई और अदालत ने पीडित पक्ष के दावे को सही मानते हुए उन्हें क्षतिपूर्ति मुआवजे हेतु पात्र माना.