विदर्भ

शारीरिक संबंध की शुरुआत करना भी बलात्कार है

उच्च न्यायालय ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

  • आरोपी की अपील खारीज कर दी

नागपुर प्रतिनिधि/दि. १० – बलात्कार सिध्द करने के लिए पीडित लडकी शरीर पर खुन या अन्य अवशेष पाये जाना जरुरी नहीं है. शारीरिक संबंध की शुरुआत करना भी बलात्कार ही होता है, ऐसा महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति विनय जोशी ने एक मामले के फैसले में दर्ज किया है. हाथरस के सामुहिक बलात्कार के मामले में भी यह मुद्दा उपस्थित हुआ था. ऐसी परिस्थिति में यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया है. संबंधित आरोपी के वकील ने पीडित लडकी के शरीर पर आरोपी का खून या अन्य अवशेष नहीं पाये गए, इसके कारण बलात्कार सिध्द नहीं होता है, ऐसा कहकर आरोपी को बचाने का प्रयास किया था. उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे को नकारते हुए कानून में ऐसा कही भी उल्लेख नहीं होने की बात कही. इसी तरह आरोपी ने केवल शारीरिक संबंध की शुरुआत करना भी कानूनन बलात्कार सिध्द होता है ऐसा स्पष्ट किया. २५ जून २०१९ को सत्र न्यायालय ने आरोपी को यह सजा सुनाई थी. उस फैसले के खिलाफ आरोपी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. अदालत ने आरोपी की अपिल खारीज कर दी. मेडिकल जांच में पीडित लडकी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने की बात स्पष्ट हुई है. इसके अलावा अन्य सबूतों को देखते हुए आरोपी को जोरदार झटका दिया. यह घटना २८ मार्च २०१६ को घटी थी.

  • मानसिक रोगी मुकबधीर लडकी पर बलात्कार

बुलढाणा जिले के खामगांव निवासी ७३ वर्षीय दिनकर त्र्यंबक बुटे नामक आरोपी ने २० वर्षीय मानसिक रोगी मुकबधीर लडकी पर बलात्कार किया. आरोपी को उच्च न्यायालय ने १० वर्ष सश्रम कारावास व ६ हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.

  • मानसिक रोगी लडकी की सहमति को महत्व नहीं

पीडित लडकी की शारीरिक संबंध के लिए सहमति थी, ऐसा भी आरोपी का कहना था. उच्च न्यायालय ने इस बचाव को अमान्य किया. लडकी १०० प्रतिशत मानसिक रोगी है. ऐसी लडकी शारीरिक संबंध किसे कहते है और इसका परिणाम क्या होता है, यह बात समझने में असक्षम है, इसके कारण उसकी सहमति को कानून में कोई महत्व नहीं है, इसी तरह ऐसी लडकी की ओर से आरोपी का विरोध करने की अपेक्षा भी नहीं की जा सकती, ऐसा अदालत ने उल्लेख किया.

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