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फुल प्रूफ प्लानिंग के साथ दिया घटना को अंजाम
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दो बार दी गई सुपारी की रकम
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मार्निंग वाक के दौरान मारी थी गोली
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जमीन विवाद बना मौत का कारण
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सीबीआई ने की थी 5 लाख के इनाम की घोषणा
नागपुर/दि.18 – लगभग साढे 4 साल बाद ही सही, लेकिन शहर पुलिस ने शहरभर में हडकंप मचाने वाले आर्किटेक्ट एकनाथ नीमगडे हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ही ली. सुराग मिलने के बाद पिछले कई दिनों से पुलिस युद्धस्तर पर जांच में जुटी हुई थी और आखिर सच्चाई बाहर आ गई. नीमगडे की हत्या की सुपारी 5 करोड रुपए में दी गई थी. सुपारी लेने वाला और कोई नहीं चर्चित अपराधी और श्रीराम सेना का अध्यक्ष रणजीत ही इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड है, जो फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
इस मामले में पुलिस अब तक 9 आरोपियो से पूछताछ कर चुकी है. अहम जानकारी हाथ लगी है लेकिन नीमगडे के बेटे की मांग पर यह प्रकरण जांच के लिए सीबीआई को हस्तांतरित कर दिया गया था. आगे की कार्रवाई और जांच भी सीबीआई ही करने वाली है. इस हत्याकांड में सफेलकर के अलावा उसका दाहीना हाथ माने जाने वाले कालू उर्फ शरद हाटे, नब्बू उर्फ नवाब छोटे साहब अशरफी, मोशू अशरफी, शहबाज अशरफी, राजा पीओपी, परवेज कल्लू और बाबा का नाम सामने आया है.
प्लान में शामिल थे 14 आरोपी
सीपी अमितेश कुमार ने बताया कि शहर में कई वर्षो से अनसुलझे हत्याकांड और बडी वारदातो की पुनजांच के निर्देश क्राइम ब्रांच को दिए गए थे. डीआईजी सुनील फुलारी और डीसीपी गजानन राजमाने के मार्गदर्शन में अलग-अलग टीमें काम पर लगी हुई थी. इसके साथ ही शहर के सारे अपराधियों की कुंडली तैयार की जा रही थी. उनकी गतिविधियों का पता लागाया जा रहा था. क्राइम इंटेलिजेन्स के जरिए पुलिस अलग-अलग अपराधियों से जानकारी इकट्ठा कर रही थी. ऐसे में कुछ जानकारी हाथ लग गई. पुलिस ने उस पर काम भी किया समय-समय पर पूछताछ के लिए आरोपियों को बुलाया गया और आखिर सफलता हाथ लगी. कुल 14 आरोपियो का समावेश होने की बात सामने आई है. सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
1.20 करोड देने के बाद भी नहीं हुआ काम
बताया जाता है कि रणजीत ओर कालू ने इस काम के लिए नब्बू को चुना था. नब्बु ने काम करने के लिए हामी दी थी. उस समय मोशु भी साथ था दोनो ने राजा पीओपी से काम करवाने की बात कही थी. जुलाई में पहले 20 लाख रुपए एडवान्स दिए गए. वे लोग नीमगडे की रेकी में लग गए. वह कब कहां जाते है इसकी पूरी निगरानी की जा रही थी. समय-समय पर रणजीत और कालू उन्हें रकम देते रहे. 1.20 करोड रुपए दिए जाने के बावजूद काम नहीं होने पर रणजीत नाराज था. उसने नब्बू को बुलाकर पिटाई भी की थी.
इसके बाद कुछ और रकम दी गई और आनन-फानन में नब्बू ने अन्य आरोपियों को साथ लेकर 6 सितंबर को मॉर्निंग वॉक करके लौटते समय नीमगडे को मारने का प्लान बनाया. कमाल चौक से नीमगडे के घर तक आरोपी फैले हुए थे. उनका फोटो सभी को उपलब्ध करवाया गया था. गांधीबाग के लाल इमली परिसर में राजा और परवेज दुपहिया वाहन पर पहुंचे, दोनो में से एक ने नीमगडे को गोली मारी और फरार हो गए. इसके बाद 50 लाख रुपए और दिए. लगभग 1.70 करोड रुपये का व्यवहार हुआ.
वर्धा रोड पर स्थित जमीन का विवाद
सीपी ने बताया कि फिलहाल हत्या के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है. जमीन को लेकर विवाद होने की जानकारी समाने आई है लेकिन रणजीत को सुपारी देने वाला कौन था? यह पता नहीं चल पाया है. रणजीत की गिरफ्तारी के बाद ही कुछ पता चल पाएगा. कुल 5 करोड रुपये की सुपारी दी गई थी लेकिन आरोपियों को केवल 1.70 करोड रुपये दिए गए. इसे लेकर भी कुछ आपसी नाराजगी चल रही थी. सूत्रो की माने तो वर्धा रोड पर स्थित साढे 5 एकड जमीन की कीमत करोडो रुपयों में है. इस जमीन के मालिका हक को लेकर नीमगडे हिंदुस्थान ट्रैवल्स संचालक सिद्दीकी, पायोनियर इंफ्रास्ट्रक्चर के अरुण नायर और ग्रीन लिवरेज के मालिक गुप्ता से चल रहा था. इन सभी से सीबीआई और नागपुर पुलिस ने पहले पूछताछ कर चुकी है. प्रकरण की जांच सीबीआई के पास होने के कारण पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है. मुंबई सीबीआई के अधिकारी नागपुर पहुंच चुके है.आगे की जांच सीबीआई टीम करेगी. इस प्रकरण में आरोपियों का पता बताने वालो ंके लिए सीबीआई ने 5 लाख रुपए इनाम की घोषणा की थी. यह राशि क्राइम ब्रांच को ही मिलेगी.