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बलात्कार को निजी नहीं, बल्कि समाज के खिलाफ गंभीर अपराध बताया
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आपसी समझौता करनेवालों के खिलाफ लगाया दंड
नागपुर/दि.17 – मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने विवाह का झांसा देकर बलात्कार किये जाने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, बलात्कार यह व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाज के खिलाफ किया गया गंभीर किस्म का अपराध है. अत: इसे आरोपीत व पीडित पक्ष के बीच किये जानेवाले आपसी समझौते की दलील देकर रद्द नहीं किया जा सकता. अपने इस फैसले के साथ ही नागपुर हाईकोर्ट ने नागपुर के एक व्यवसायी के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले को रद्द करने से इन्कार कर दिया. यह फैसला न्या. महेश सोनक व न्या. पुष्पा गणेडीवाला की खंडपीठ द्वारा दिया गया है.
इस मामले को लेकर मिली जानकारी के मुताबिक नागपुर निवासी राहुल अर्जून वैद्य नामक व्यक्ति ने अपने विवाहित रहने की जानकारी छिपाते हुए फिर्यादी महिला के साथ विवाह का झांसा देकर शारीरिक संबंध स्थापित किये. पश्चात फिर्यादी महिला द्वारा राहुल वैद्य के खिलाफ प्रताप नगर पुलिस थाने में झांसा देकर बलात्कार किये जाने की शिकायत दर्ज करायी गयी. किंतु मामले की सुनवाई शुरू होने के साथ ही आरोपी राहुल वैद्य तथा फिर्यादी महिला ने आपस में समझौता करते हुए यह मामला रद्द करने हेतु हाईकोर्ट में संयुक्त रूप से एक आवेदन पेश किया. जिसमें फिर्यादी महिला द्वारा कहा गया कि, वैद्य को लेकर हुई गलतफहमी के चलते गुस्से में आकर उसने बलात्कार की शिकायत दर्ज करायी थी और अब उसे यह मामला आगे नहीं चलाना है. पश्चात अदालत ने विभिन्न कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस आवेदन को खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि, केवल आरोपी व फिर्यादी द्वारा आपसी समझौता करने की वजह से बलात्कार के मामले को रद्द नहीं किया जा सकता. इससे पहले भी 22 नवंबर 2021 को आरोपी राहुल वैद्य द्वारा अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने हेतु आवेदन दाखिल किया गया था. जिसे अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था. वहीं अब यह नया आवेदन एक तरह से उस फैसले पर हाईकोर्ट को पुनर्विचार करने हेतु मजबूर करने का प्रयास है, जो कि, पूरी तरह से गैरकानूनी है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि, यदि पीडित पक्ष व आरोपी के बीच हुए समझौते के चलते इस आवेदन को मंजूर कर लिया जाता है, तो इससे समाज में बेहद गलत संदेश जायेगा और हर किसी को यह लगेगा कि, चाहे वे कितने भी गंभीर अपराध कर ले, किंतु उनके खिलाफ कुछ नहीं होगा और वे आपसी समझौता करते हुए बच निकलेंगे. अत: कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग करनेवाले ऐसे प्रयासों को समय रहते तुरंत ही रोका जाना चाहिए.
50 हजार का दंड भी लगाया
हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अदालत का समय नष्ट करने और कानूनी प्रक्रिया के दुरूपयोग का प्रयास करने को लेकर आरोपी व फिर्यादी पर 50 हजार रूपये का दावा खर्च भी लगाया तथा यह रकम विधि सेवा प्राधिकरण के पास जमा करने का निर्देश दिया.