विदर्भ

मानवता पर कलंक की तरह है सगी बेटी पर बलात्कार

हाईकोर्ट ने कायम रखी दुराचारी पिता की उम्रकैद

नागपुर/दि.22 – किसी पिता द्वारा अपनी सगी बेटी के साथ दुराचार करना एक तरह से इंसानियत के नाम पर कलंक है और यह अपने आप में दुर्लभतम मामला है. अत: ऐसे मामले में आरोपी को किसी तरह की कोई राहत नहीं दी जा सकती. इस आशय की बात कहते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एक दुराचारी पिता को जिला व सत्र न्यायाधीश द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को कायम रखा है. यह फैसला न्यायमूर्तिद्वय महेश सोनक व पुष्पा गणेडीवाला की खंडपीठ ने सुनाया.
मामले को लेकर मिली जानकारी के मुताबिक बुलडाणा जिले के साखरखेडा में रहनेवाला आरोपी पेशे से मजदूर है और वह अपनी नाबालिग बेटी के साथ लगातार दुराचार किया करता था. साथ ही उसने अपनी बेटी का दो बार गर्भपात भी करवाया था. किंतु तीसरी बार गर्भपात का प्रयास असफल रहा और उस नाबालिग बेटी ने एक बच्चे को जन्म दिया. जिससे आरोपी के काले कारनामे सामने आये और डीएनए जांच से भी यह बात स्पष्ट हो गई कि, आरोपी ही उस बच्चे का जैविक पिता है. ऐसे में विशेष सत्र न्यायालय ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुराचार करने के मामले को लेकर आरोपी को दोषी करार दिया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जिसके खिलाफ आरोपी ने नागपुर हाईकोर्ट में अपील दाखिल की. हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड पर रहनेवाले सभी सबूतों के मद्देनजर आरोपी को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को कायम रखा तथा उसे किसी भी तरह की राहत देने से इन्कार कर दिया.

बेटी के लिए पिता होता है सबसे भरोसेमंद

इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, किसी भी बेटी के लिए उसका पिता ही उसकी सबसे बडी ताकत, आधार और भरोसेमंद व्यक्ति होता है. बेटी का संरक्षण करना एक पिता की सबसे बडी जिम्मेदारी होती है. किंतु इस मामले में एक पिता ने ही अपनी बेटी का जीवन बर्बाद कर दिया. यह बेहद अश्लील व जघन्य कृत्य होने के साथ ही हत्या से भी गंभीर अपराध है. ऐसे में आरोपी के खिलाफ कठोर भूमिका अपनाना बेहद आवश्यक है. जिसके चलते ऐसे मामलों में आरोपी को सजा में किसी भी तरह की कोई राहत नहीं दी जा सकती.

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