विदर्भ

बलात्कार पीडित को 28 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति

नागपुर/दि. 30– मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने बुधवार को विविध बातों को ध्यान में रखते हुए 14 साल की बलात्कार पीडित किशोरी को 28 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी. न्यायमूर्ति नितिन सांबरे व अभय मंत्री ने यह निर्णय लिया. इस पीडिता का अकोला के सरकारी अस्पताल में गुरुवार 30 नवंबर को गर्भपात किया गया.
दुष्कर्म यह पीडित किशोरी को शारीरिक व मानसिक आघात पहुंचाने वाला कुकृत्य है. साथ ही अविवाहित नाबालिग का गर्भवती होना सामाजिक कलंक माना जाता है. ऐसी परिस्थिति में नवजात का जन्म होना, पीडिता के लिए पीडादायक साबित होगा. उसकी आर्थिक परिस्थित भी दयनीय है. इसके अलावा वैद्यकीय मंडल ने उसका गर्भपात जानलेवा न रहने की रिपोर्ट दी है. इस कारण उसे गर्भपात की अनुमति देना आवश्यक है, ऐसा न्यायालय ने निर्णय देते हुए स्पष्ट किया. पीडित किशोरी अकोला जिले की रहने वाली है. उस पर रिश्ते में ही रहने वाले व्यक्ति ने दुष्कर्म किया. इस कारण वह गर्भवती थी. उसे यह नवजात नहीं चाहिए इसलिए उसने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी. पीडिता की तरफ से एड. सोनिया गजभिये ने काम संभाला.

* गर्भपात कानून क्या कहता है?
वैद्यकीय गर्भपात कानून के मुताबिक विशेष प्रकरणों में 24 सप्ताह की कालावधि तक गर्भ गिरया जा सकता है. अपवादात्मक परिस्थिति में 24 सप्ताह से अधिक कालावधिक हुए को गर्भ गिराने का मार्ग भी कानून में उपलब्ध है. वैद्यकीय मंडल में सकारात्मक रिपोर्ट दी तो ऐसा गर्भ गिरया जा सकता है. गर्भ धारणा के कारण माता की जान को खतरा निर्माण हुआ अथवा उसके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर खतरा पहुंचने की संभावना रही अथवा गर्भ ही शारीरिक व मानसिक विकृतिग्रस्त रहा तो गर्भपात किया जा सकता है. नहीं चाहिए अथवा दुष्कर्म के कारण गर्भवती होना संबंधित महिला के लिए मानसिक आघात गृहित माना गया है.

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