नागपुर/दि.24 – भारतीय मसालों में प्रमुख पदार्थ खसखस के दाम फिलहाल अधिक होने के कारण चर्चा में है. फिलहाल खसखस की कीमत प्रति किलो 1,700 रुपए होकर गत कुछ वर्षों में यह सर्वाधिक दरवृध्दि साबित हुई है.
देश के अफीम उत्पादन पर केंद्र सरकार का निर्बंध होने के साथ ही अफीम की तरह ही उसके समान उत्पादन वाले खसखस पर भी कुछ निर्बंध लगाये गये है. देश में खसखस की मांग बड़े पैमाने पर है, फिर भी निर्बंध के कारण बड़े पैमाने पर खसखस का उत्पादन देश में नहीं लिया जाता. इस कारण चेकोस्लोवाकिया, तुर्कस्थान, चीन में उत्पादित होने वाले खसखस पर भारत की भिस्त है. वास्तविक रुप से देखा जाये तो अफीम का उत्पादन देश के मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश इन तीन राज्यों मेंं लिया जाता है. इसके लिये अनुमति लेना आवश्यक होता है. अफीम का बायप्रॉडक्ट वाले खसखस पर भी निर्बंध लगाया गया है. कुछ औषधियों में अफीम का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं भारतीय खाद्य संस्कृति में खसखस का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है.
तीन राज्यों की खसखस का उत्पादन चार हजार टन के करीब है. वहीं संपूर्ण देश की मांग 20 से 25 हजार टन तक है. भारतीय खाद्य संस्कृति में खसखस का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन देश अंतर्गत होने वाले खसखस का उत्पादन मांग की तुलना में कम पड़ता है. व्यापारियों व्दारा किये गये दावेनुसार, आयात के निर्बंध उठाये जाने पर खसखस की कीमत 400 से 500 रुपए से कम हो सकती है. खसखस के उत्पादन के लि ये सरकार की ओर से परवाना प्राप्त उत्पादकों को पट्टे वितरित किये जाते हैं. वितरण के बाद मर्यादित पट्टे में खसखस का उत्पादन करना पड़ता है.
आयात को स्थगिती
मांग की तुलना में उत्पादन कम होने से देशभर के बाजार में खसखस की आपूर्ति कम हो रही है. इससे पूर्व 2016 और 2018 फरवरी में खसखस के आयात का निर्बंध उठाया गया था. लेकिन इसके विपरीत दाखल की गई याचिका पर आदेश देते हुए न्यायालय ने आयात को स्थगिती दी है. इसका फटका ग्राहकों को बैठा है.