सावंगी मेघे अस्पताल में दुर्लभ ‘फीटस इन फिटू’ शल्यक्रिया सफल
डेढ महीने की बच्ची के गर्भ में भ्रूण!

वर्धा/दि.28-महज डेढ महीने की एक बच्ची के पेट में बढे भू्रण सदृश्य ट्यूमर को शल्यक्रिया द्वारा सफलतापूर्वक निकालने डॉक्टरों को सफलता मिली है. फीटस इन फिटू के नाम से पहचाने जाने वाली यह एक अत्यंत दुर्लभ चिकित्सा स्थिति है, जो दस लाख शिशुओं में से केवल एक में ही पाई जाती है. सावंगी स्थित आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती एक महिला ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया. हालांकि, प्रारंभिक जांच में लडकी के पेट में एक बडी गांठ का पता चला. जब नवीनतम उपकरणों का उपयोग करके बच्ची की जांच की गई तो पता चला कि नवजात बच्ची के पेट में एक और भ्रूण है. बच्चे का वजन साढे चार किलोग्राम था. उसके पेट में बढ रहे ट्यूमर का वजन लगभग 500 ग्राम था. चूंकि यह मांसल ट्यूमर नवजात बच्ची के लिए जानलेवा था, इसलिए डॉक्टरों ने तत्काल सर्जरी करने का निर्णय लिया.
शल्यक्रिया विभाग प्रमुख डॉ. आर.के. शिंदे के मार्गदर्शन में बालशल्यचिकित्सक डॉ. थवेंद्र दिहारे ने डॉ. खुशबू वैद्य, डॉ. आयुष गांधी की मदद से यह कठिन सर्जरी पूरी की. इस अत्यंत जटिल एवं नाजुक सर्जरी के बाद कुछ ही समय में बच्ची की की हालत स्थिर हो गई. उसकी मां ने उसे स्तनपान भी कराना शुरू कर दिया था. इतनी छोटी उम्र के बच्चे के लिए यह एक जोखिम भरी सर्जरी थी. डॉ. थवेन्द्र दिहारे ने कहा कि यह सटीक निदान, डॉक्टरों के कौशल और अनुभव, अस्पताल के भीतर समन्वय और उन्नत चिकित्सा सुविधाओं के कारण संभव हुआ.
* क्या है फीटस इन फिटू?
मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के शरीर के अंदर एक अन्य भ्रूण के विकास को ‘फीटस इन फिटू’ कहा जाता है. यह एक दुर्लभ, प्राकृतिक रूप से घटित होने वाली चिकित्सीय घटना है. यदि माता के गर्भ में दो भ्रूण बनते हैं, तो वे जुडवां नहीं पैदा होते, बल्कि एक भ्रूण दूसरे के अंदर विकसित होता है. गर्भावस्था के दौरान कुछ स्थितियों में, जुडवा बच्चों में से एक भ्रूण के रूप में विकसित नहीं होता, बल्कि दूसरे में प्रत्यारोपित हो जाता है और उसके शरीर के अंदर बढने लगता है. इस स्थिति का निदान आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद किया जाता है. यदि समय रहते इसका पता चल जाए तो सर्जरी के माध्यम से बढे हुए ट्यूमर को निकालना संभव है.
* ट्यूमर में मिले शरीर के विकास से जुडे अंग
डॉक्टर ने सर्जरी के बाद बढी हुई गांठ की जांच की. डॉ. आर.के. शिंदे ने बताया कि इसमें बाल, कान के अवशेष, उंगली जैसे अंग और शरीर के विकास से संबंधित कुछ अन्य हिस्से मिले हैं. सर्जरी के तुरंत बाद बच्ची को वेंटिलेटर से हटा दिया गया और उसे सामान्य स्थिति में वापस लाया गया.