विदर्भ

अत्याधुनिक मशीन के इस्तेमाल से पराटी का इस्तेमाल कम

गांव के पशुपालको के मवेशियों को नहीं मिल रहा कुटार

टाकरखेडा संभू/दि.28– वर्तमान में अत्याधुनिक खेती की तरफ किसान तेजी से बढते दिखाई दे रहे है. इस कारण जल्द अनाज घर लाने के लिए मशीन के जरिए फसलों की कटाई की जा रही है. इस कारण पराटी नहीं मिल रही है. इसके अलावा गांव के मवेशियों को तुअर का कुटार भी नहीं मिल रहा है.

वर्तमान में नौकरी करनेवाले किसान रहने से वें आधुनिकीकरण की तरफ बढ रहे है. लेकिन इसका असर गांव-कसबो में होता दिखाई दे रहा है. पहले किसान खेतो में मजदूर लगाकर तुअर की फसलों की कटाई कर तुअर का दाना और कुटार अलग करते थे. इस कारण मवेशियों को उसका चारा खाने मिलता था. लेकिन अब परिस्थिती बदल गई है. सीधे मशीन में पराटी सहित तुअर के ढेर डाले जा रहे है. इससे पराटी भी पूरी तरह बारीक होकर कुटार बाहर आता है. यह कुटार पशुधन के खानेयोग्य नहीं रहता. पराटी का भी ग्रामीण क्षेत्र में महत्व है. इसका उपयोग खराटे तैयार करने, मवेशियों के तबेले का कंपाऊंड, उष्णता से बचाव करने के लिए घर की छत पर भी पराटी बिछाने का तरीका है. साथ ही चूल्हे पर अनाज पकाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.

* कुटार के अभाव में दूध कम
मेरे पास गाय-भैंस है. तुअर का कुटार पराटी सहित बारीक होने से मवेशी यह कुटार नहीं खाते. इस कारण दूध भी कम आता है. पहले तुअर को अलग निकाला जाता था. जिससे दर्जेदार कुटार मिलता था. अब शहर से कुछ व्यापारी आते है और किसानों से कुटार खरीदकर उसे कंपनी को देते है.
– अक्षय बनकर, पशुपालक किसान.

* चोरी के भय से मशीन का इस्तेमाल
तुअर का ढेर लगाकर रखा तो चोरी होने का भय रहता है. इस कारण हम मशीन से तुअर निकाल लेते है. हमारा समय और परिश्रम बचता है. साथ ही पार्ट टाईम जॉब भी करना हो जाता है.
– ऋषिकेश विनोद तांबट
इंजिनिअर तथा किसान, पूर्णानगर.

* समय की बचत के लिए मशीन का इस्तेमाल
लोगों का समय बर्बाद न होने के लिए मशीन से तुअर निकाली जाती है. उद्योजक जलतन के गठ्ठे बनाने के लिए कुटार खरीदते है. चारा न मिलने से पशुओं का पालन कठिण हो गया है.
– शशीकांत बोंडे, दूध उत्पादक किसान.

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