नागपुर/प्रतिनिधि दि.२३ – कोकण क्षेत्र में चलाये जा रहे नानार रिफायनरी तेल शुध्दिकरण प्रकल्प को विदर्भ में लाने की चर्चाएं व्याप्त है. जिसे कुछ लोगों ने विरोध भी जताया है. विदर्भ का नुकसान होने का मत भी जताया जा रहा है, लेकिन यह प्रकल्प विदर्भ में आने पर विदर्भ के लगभग 12 हजार करोड रुपए बचेंगे. इसके अलावा रिफायनरी से तेल के अलावा निर्माण होेने वाले माल को भी विदर्भ के बाजार में ग्राहक मिलेंगे. इसके अलावा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर 2 लाख लोगों को रोजगार देने वाला यह प्रकल्प साबित होगा, इस आशय का मत प्राकृतिक स्त्रोत के प्रदीप माहेश्वरी ने जताया है.
आईओसी, एचपीसीएल, बीपीसीएल, सौदी अरेबिया की पेट्रोलियम कंपनी अरामको और अबुधाबी की नैशनल ऑईल कंपनी के 3 लाख करोड डॉलर का महत्वाकांक्षी प्रकल्प कोकण में स्थापित करने के लिए वहां के नागरिकों ने विरोध जताया हेै, लेकिन यह प्रकल्प विदर्भ में लाने की मांग उठ रही है. यह मांग भी जायज है. जिससे विदर्भ का लाभ होगा. इस संबंध में एक पत्र माहेश्वरी ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को भेजा है. माहेश्वरी के अनुसार हाल की घडी में विदर्भ में जो तेल की आयात की जा रही है वह गुजरात अथवा मुंबई से लाया जाता है. इसके लिए कम से कम 800 किलोमीटर पर यातायात का खर्चा होता है. यह प्रकल्प रत्नागिरी में जाने पर 1 हजार 80 किलोमीटर का सफर होगा, जिससे खर्चा और भी बढेगा. इस प्रकल्प के लिए लगने वाले कच्चे तेल हेतू पाइपलाइन भी बिछानी पडेगी. वह 40 वर्ष तक चलेगी, लेकिन यह प्रकल्प विदर्भ में लाया जाने पर यातायात पर होने वाला लगभग 12 हजार रुपये करोड का खर्चा बचेगा, वहीं पाइपलाइन का खर्च भी जल्द निकलेगा.
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अन्य उत्पादन के लिए बेहतर बाजार
इस रिफायनरी से केवल तेल ही नहीं मिलेगा बल्कि अन्य उत्पादन भी लिये जा सकेंगे. जिनका प्रमाण 50 से 55 फीसदी रहेगा. विदर्भ के आसपास छत्तिसगड और मध्यप्रदेश के अनेक कारखानों व उद्योगों में उनका उपयोग हो सकता है. इन राज्यों के उद्योजक दूर-दूर के हिस्सों से उत्पादन मंगवाते है, लेकिन यह प्रकल्प नागपुर में आने पर यातायात पर होने वाला खर्चा भी कम होगा. वहीं उद्योग निर्मिति भी होगी.