* वादा तोडने और झूठा वादा करने के बीच अंतर
नागपुर/दि.03– महिला और पुरुष के बीच बने सहमति से संबंध के बाद यदि कोई पुरुष अपने परिवार के सहमत नहीं होने के कारण किसी महिला से शादी करने के अपने वादे से मुकर जाता है, तो इसमें बलात्कार का अपराध नहीं बनता है. बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने 31 वर्षीय व्यक्ति को उसके खिलाफ दर्ज मामले में बरी करते हुए यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति एम. डब्ल्यू. चंदवानी की एकल पीठ ने 30 जवरी को दिए एक आदेश में कहा कि, एक व्यक्ति ने केवल शादी के अपने वादे को तोडा है और महिला को उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए शादी का झांसा नहीं दिया था. ‘वादा तोडने और झूठा वादा पूरा न करने’ के बीच अंतर है. पुरुष ने कहा, उसका महिला से शादी करने का पूरा इरादा था. लेकिन उसने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और उससे कहा कि वह किसी और से शादी करेगी. मेरे परिवार वालों ने भी इस रिश्ते को स्वीकार करने से मना कर दिया था. जिसके बाद वह दूसरी महिला से सगाई करने को तैयार हो गया. वहीं शिकायतकर्ता महिला ने भी 2021 में किसी अन्य पुरुष से शादी कर ली थी.
* ये है मामला
33 वर्षीय महिला एक व्यक्ति के साथ 2016 से रिश्ते में थी. इसी बीच पुरुष ने शादी का वादा भी किया और दोनों के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध भी बने. लेकिन इसी बीच पुरुष के परिवार ने उसका विवाह और कहीं तय कर दिया. जहां उसकी सगाई भी हो गई. इसका पता चलने पर महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी.
* ये भी कहा
– महिला एक परिपक्व वयस्क है.
– यह साबित करने के लिए कोई तथ्य नहीं है कि रिश्ते की शुरुआत के बाद से व्यक्ति का शादी करने का वादा झूठा था.
– इस बात के भी संकेत नहीं कि व्यक्ति ने केवल शारीरिक संबंध बनाने के लिए वादा किया.
– केवल इसलिए कि वह शादी करने के अपने वादे से मुकर गया काफी नहीं.
– माता-पिता उनकी शादी से सहमत नहीं थे. अंत: विवाह नहीं कर पाना बलात्कार है.
* महिला का आरोप
शिकायतकर्ता महिला ने वर्ष 2019 में नागपुर पुलिस में केस दर्ज कराया था कि, उस व्यक्ति ने (बरी किए गए) शादी करने का वादा कर संबंध बनाए, लेकिन दूसरी महिला से शादी कर ली. उसने बलात्कार का केस दर्ज कराया था.