97 हजार रुपए वेतन पाने वाले पति का 10 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने से इंकार
उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी याचिका
नागपुर/दि.11 – प्रतिमाह 97 हजार रुपए वेतन पाने वाले अभियंता पति ने अलग रहने वाले पत्नी व बेटे को मंजूर 10 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की. मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने उसे गुणवत्ताहिन साबित करते हुए याचिका खारिज कर डाली. यह फैसला न्यायमूर्ति गोविंद सानप की अदालत ने सुनाया.
पति नागरिक के जरिपट्टा और पत्नी पुराना मानकापुर में रहती है. दोनों अभियंता है. पति एलएनटी कंपनी के पुणे कार्यालय में कार्यरत है. पारिवारिक विवाद के कारण पत्नी मायके में रहती है. उसने गुजारा भत्ता के लिए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पारिवारिक न्यायालय में आवेदन किया है. 1 अप्रैल 2022 को पारिवारिक अदालत ने उस आवेदन पर फैसला होने तक पत्नी व नाबालिग बालक को प्रति 5 हजार रुपए अंतरिम गुजारा भत्ता मंजूर किया. यह फैसला सुनाते समय दम्पति की आर्थिक स्थिति उसकी पढाई व रहने का दर्जा विचार में लिया. इस निर्णय पर पति का आक्षेप था. बेटे को ब्लड कैंसर है. उसके इलाज के लिए 17 लाख रुपए खर्च किए है. पत्नी को पारिवारिक हिंसाचार मामले में भी अंतरिम गुजारा भत्ता मंजूर है. वह उच्च शिक्षित है. वह खुद कमा सकती है, ऐसा पति का कहना था. परंतु बेटे के इलाज का खर्च व पत्नी की आय के सबूत पेश नहीं कर पाया. इसी तरह पत्नी को पारिवारिक हिंसाचार कानून व सीआरपीसी इन दोनों कानून के अंतर्गत गुजारा भत्ता दिया जा सकता है. ऐसा उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करते समय स्पष्ट किया.
* ऐसा था पत्नी का आरोप उस दम्पति का 20 नवंबर 2012 को विवाह हुआ. इस बीच बेटे के जन्म के बाद पति व उसके परिवार के रवैये में अचानक बदलाव हुआ. पति ने पत्नी के साथ प्रताडना शुरु की. उसे घर के बाहर निकाला, ऐसा भी आरोप है.