विदर्भ

12 वी की प्रात्यक्षिक परीक्षा का साहित्य लेने से इंकार

शिक्षा संस्था संचालक की कडी भूमिका

वर्धा/दि.30– राज्य शिक्षा संस्था संचालक महामंडल ने विविध मांगो के लिए 10 वी और 12 वी की परीक्षा पर बहिष्कार का निर्णय लिया है. शाला की इमारत परीक्षा के लिए नहीं दी जाएगी. लेकिन अब शासन द्वारा पहल करने के लिए 12 वी की प्रात्यक्षिक परीक्षा ही न होने देने के लिए इस परीक्षा का साहित्य ही न लेने की भूमिका ली गई है. संगठना के नेता मेघश्याम करडे ने स्पष्ट किया की, उन्होंने परीक्षा बहिष्कार की घोषणा की है. लेकिन उसके पूर्व निश्चित किया गया है कि, अब कोई भी शाला प्रात्यक्षिक परीक्षा के लिए मंडल को सहयोग नहीं करेगी. यह आंदोलन का पहला चरण है.

संगठना ने कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री को ही खुला पत्र देकर अपनी भूमिका रखी थी. संगठना ने मुख्यमंत्री शिंदे से कुछ सवाल किए. राज्य 2012 से शिक्षक भरती बंद है. विषयनिहाय पारंगत शिक्षक नहीं है. रोबोटिक प्रयोगशाला में नाटक अथवा अभियंता शिक्षक नियुक्त करने के आदेश निकाले. लेकिन कोई भी नियुक्ति नहीं हुई. विषय शिक्षक नहीं है और विद्यार्थियों का भविष्य उज्वल करने का सपना कैसा? मराठी शाला की स्थिति विदारक हो गई है. शिक्षक, सिपाही, परिचर, लिपिक न रहने से कामकाज ठप्प हो गया है. बहुजन कक्षा को मिलनेवाली नि:शुल्क शिक्षा बंद करने की यह साजिश है. शिक्षा क्षेत्र कार्पोरेट को देने की साजिश है आदि सवाल मुख्यमंत्री से किए गए है. इसके अलावा भौतिक सुविधा नहीं है, इमारत जर्जर होने लगी है, वर्ष 2004 से किराया नहीं मिल रहा है, पेयजल बिल भी नहीं दिया जा रहा है. इस कारण 8 दिनों मे शाला सुंदर कैसी की जाएगी. जब सभी मराठी शाला बंद हो जाएगी तब आंखे खुलेगी. लेकिन तब तक समय निकल चुका होगा. काफी पैसे गिनकर शिक्षा लेनी पडेगी और पैसे न रहने पर यह समाज आदिम संस्कृति की तरफ बढेगा, ऐसा गंभीर खतरा मुख्यमंत्री शिंदे को सूचित किया गया है.

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