विदर्भ

ऐसे वाहन जिन्हें कंपनी ने बनाया ही नहीं, उनका भी रजिस्ट्रेशन

चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन मामले में 1024 वाहनों की जांच

नागपुर/दि.18– चोरी के वाहनों की नागपुर, अमरावती आरटीओ में रजिस्ट्रेशन मामले की जांच में नागपुर ग्रामीण आरटीओ में 1024 संदिग्ध वाहनों की सूची तैयार की गई है. जिनकी जांच की जा रही है. उनका रजिस्ट्रेशन किसने किया, कौन एजेंट इनको लेकर आया. इसका असली मालिक कौन है. विभाग के किस इंस्पेक्टर ने इसकी जांच की और किस अधिकारी ने उन पर हस्ताक्षर किए.

यह सब जानकारी खंगाली जा रही है. दूसरी तरफ मुंबई पुलिस की जांच में तेजी आ गई है. अतिरिक्त स्टॉफ को जांच में लगाया गया है. अधिकारियों और एजेंटों में हडकंप है. उन्हें गिरफ्तारी की चिंता सता रही है. ऐसे वाहन जिन्हें कंपनी ने बनाया ही नही. उनका भी रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है. यह घोटाला एक दो आरटीओ तक सीमित नहीं है. महाराष्ट्र के साथ देश के कई आरटीओ मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, अरूणाचल प्रदेश से आए इसी तरह के वाहन रजिस्टर्ड हुए है. चूकि पुलिस को अभी नागपुर – अमरावती के सबूत मिले , इसलिए उस पर फोकस है.

पुलिस के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहा इंस्पेक्टर- ग्रामीण आरटीओ में ऐसे वाहनों का भी रजिस्ट्रेशन कर दिया, जो कंपनी ने कभी बनाए ही नहीं. यहां तक वे कभी नागपुर भी नहीं आए. उनका फिजिक्स वैरिफिकेशन भी इंस्पेक्टर ने करना बता दिया गया. ऐसे ही एक मामले में ग्रामीण आरटीओ के इंस्पेक्टर उदयसिंह पाटील का नाम सामने आया था. वाहन नंबर एम.एच. 40- सी.डी- 3642, 1433, 4818, एम.एच.- 40-सीएम-0638, 1404, एम.एच. -40 सी.डी. -2912, एम.एच-40. एम- 2478, 2480, एम.एच.-40-सी.डी. -2955 इन वाहनों के निरीक्षण में धांधली थी. इसका जवाब देने के लिए उदय पाटील को 14 मई को मुंबई बुलाया गया था. लेकिन वह नहीं गये और नोटिस के जवाब में पत्र लिखकर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते रहे. अब पुलिस उन पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है. पुलिस का इस मामले में मानना है कि उन्हें अग्रिम जमानत मिली है. इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें पुलिस की पूछताछ या उनके गुनाहों से मुक्ति मिल गई है.

सिध्दिविनायक ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टक्स कंपनी से जुडे तार- चोरी के वाहनों के मामले में सिध्दिविनायक ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स कंपनी, मुंबई से भी तार जुडे है. इस कंपनी ने 750 ट्राले के नामों से फाइनेंस करवाए. जिसमें कंपनी के चपरासी से लेकर वहां काम करनेवाले वर्कर तक शामिल है. बीमा करवाया गया फिर किश्त भरना बंद कर दिया गया. पश्चात धीरे-धीरे वाहनों को चोरी करवाना शुरू कर दिया. इसमें से अधिकांश वाहनों का पुन: रजिस्ट्रेशन करवाकर बेचे गये . दूसरी तरफ कंपनी के कंडम हो चुके वाहनों के चेसिस नंबर और इंजिन नंबर का चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन में उपयोग हुआ. यह खुलासा भी मुंबई पुलिस की पडताल में हुआ है.

* जांच के बाद होगा क्लीयर
आरटीओ नागपुर राजा गीते ने कहा कि ग्रामीण आरटीओ में वाहनों के पंजीयन की जांच चल रही है. विशेष टीम यह जांच कर रही है. पश्चात पता चल पायेगा कि कितनों वाहनों में गडबडी हुई है. 1024 वाहनों में सभी का रजिस्ट्रेशन गलत ही हुआ है. जिन वाहनों की जांच होगी. यह उसकी सूची हैं.

* कई एजेंटों के नाम उजागर
मुख्य आरोपी जावेद मनियार से एजेंट गाडियों का रजिस्ट्रेशन का ठेका दिया करते थे. इसमें नागपुर का एजेंट शील पहले ही गिरफ्तार हो चुका है. अन्य एजेंट में टीटू शर्मा, गजेंद्र सिंह ठाकुर, पिंटू, बिट्टू सरदार, मुन्ना शर्मा, नैनी के नाम सामने आए है. कुछ एजेंट भूमिगत हो गये है. नागपुर ग्रामीण में चोरी के वाहनों के पंजीयन में एजेंटों की बडी भूमिका है. वे वाहनों का रजिस्ट्रेशन करवाने में मध्यस्थ थे.

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