* कोर्ट ने केंद्रीय समाजकल्याण विभाग को दिये आदेश
नागपुर-दि.8 केंद्रीय समाजकल्याण विभाग द्वारा कोई न कोई कारण आगे करते हुए छात्रवृत्ति रोके जाने के चलते विगत दो वर्षों से मानसिक तकलीफें सहन करनेवाले उम्मीदवार को अंतत: न्यायालय से राहत मिली है. इस संदर्भ में दिल्ली उच्च न्यायालय ने पीडित छात्र की छात्रवृत्ति की रकम मंजुर करते हुए फाईनल अवार्ड करने का आदेश केंद्रीय समाजकल्याण विभाग के नाम जारी किया है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक उडीसा निनासी अरूण महानंदा ने ‘क्रिमीनॉलॉजी’ विषय में उडीसा के अपराधों को लेकर वर्ष 2020 में युनायटेड किंगडम के एसेक्स विद्यापीठ में पीएचडी के लिए आवेदन किया था. जिसे विद्यापीठ द्वारा मान्यता भी प्रदान की गई. जिसके चलते अरूण महानंदा ने केंद्र सरकार की विदेशी छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत छात्रवृत्ति मिलने हेतु आवेदन किया था, लेकिन इस विभाग द्वारा हमेशा ही कोई न कोई वजह आगे करते हुए छात्रवृत्ति देने में अडंगे डालने शुरू कर दिये गये. महानंदा को पदव्युत्तर पाठ्यक्रम में 68 फीसद अंक रहने के बावजूद केेंद्रीय समाजकल्याण विभाग ने उनके अंकों को 60 फीसद से कम बताया. जिसके खिलाफ महानंदा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में गूहार लगायी. जहां पर उनके अंक 60 फीसद से अधिक रहने की बात साबित हुई. जिसके चलते फैसला महानंदा के पक्ष में आया. लेकिन इसके बाद समाजकल्याण विभाग द्वारा जारी किये गये नये परिपत्रक की वजह से दिक्कत निर्माण हुई. जब वर्ष 2022 में इस विभाग ने एक परिपत्रक जारी करते हुए भारत से संबंधित व आधारित विषयों पर विदेश में संशोधन नहीं किया जा सकता, ऐसा नियम लाया. इस नियम के आधार पर एक बार फिर महानंदा की छात्रवृत्ति को रोका गया. जिसके चलते महानंदा फिर दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण में पहुंचे और इस बार भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने महानंदा के पक्ष में फैसला सुनाया. 31 अगस्त 2022 को न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि, महानंदा ने वर्ष 2021 में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था और विभाग ने नया नियम वर्ष 2022 में बनाया था. इसके साथ ही विदेशी विद्यापीठ द्वारा संशोधन आवेदन मंजूर करते समय दिये गये निर्देशों की अनदेखी नहीं की जा सकती. अत: महानंदा को तत्काल छात्रवृत्ति मंजुर करते हुए फाईनल अवार्ड मिलना चाहिए.
* नागपुर की ‘द प्लेटफॉर्म’ संस्था ने दी मदद
उडीसा निवासी अरूण महानंदा नामक छात्र को न्याय दिलाने हेतु ‘द प्लेटफॉर्म’ नामक सामाजिक संगठन ने काफी महत्वपूर्ण सहयोग किया. इसी संस्था के सहयोग से कानूनी लडाई लडते हुए अरूण महानंदा ने समाजकल्याण विभाग की गलती को अदालत के ध्यान में लाया और अदालती लडाई लडते हुए अपनी छात्रवृत्ति की रकम को हासिल भी किया.
संस्था के राजू खोब्रागडे व उनकी टीम, लंदन निवासी राहुल पगारे व उनकी टीम तथा डाईर्व्हसिटी ग्रुप के अनिल वागदे व उनकी टीम ने अरूण महानंदा को इस दौरान आर्थिक सहयोग प्रदान करने के साथ ही न्यायालयीन लडाई लडने में हर संभव सहायता की.