विदर्भ

सुरक्षा जवान के बेटे को राहत, एमबीबीएस में प्रवेश देने के निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय ने संबंधित युवक की एक लाख नुकसान भरपाई भी की मंजूर

नागपुर/दि.22– सर्वोच्च न्यायालय ने सीमा सुरक्षा बल के एक जवान के बेटे पर यंत्रणा की तरफ से अन्याय होने की बात स्पष्ट कर संबंधित पीडित बेटे को एमबीबीएस अभ्यासक्रम में प्रवेश और एक लाख रुपए नुकसान भरपाई देने के निर्देश राज्य सरकार व यवतमाल के वसंतराव नाईक शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय को दिए है.

जानकारी के मुताबिक संबंधित पीडित युवक का नाम वंश प्रकाश डोलस है. वह महाराष्ट्र का मूल निवासी है. पिता की नौकरी के कारण उसकी कक्षा 10 वीं और 12 वीं तक शिक्षा महाराष्ट्र के बाहर हुई है. राज्य सीईटी सेल ने उसे 4 अगस्त 2023 को नीट परीक्षा के गुणवत्ता के आधार पर वसंतराव नाईक शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में राज्य के कोटे के ओबीसी/नॉन क्रिमिलेअर प्रवर्ग की सीट वितरित की थी. उसने 13 हजार 500 रुपए प्रवेश शुल्क भी जमा किए थे. पश्चात 9 अगस्त 2023 को महाविद्यालय में वह राज्य के कोटे से प्रवेश मिलने के लिए पात्र न रहने का कारण देकर उसका प्रवेश रद्द किया था. केंद्रीय कर्मचारी के बेटे के लिए निर्धारित नियमानुसार प्रवेश के समय युवक के पिता महाराष्ट्र में कार्यरत रहना आवश्यक था. वंश के पिता वर्तमान में पंजाब में कार्यरत है. सर्वोच्च न्यायालय ने यह नियम गलत रहने की बात कही. केंद्रीय कर्मचारी द्वारा कहां सेवा दी जाए यह उसके हाथ में नहीं है. इस कारण विवादस्पद प्रवेश नियम में दुरुस्ती होना आवश्यक है, ऐसा न्यायालय ने कहा.

* हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
प्रवेश रद्द होने के बाद वंश ने शुरुआत में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. उच्च न्यायालय ने 5 सितंबर 2023 को यह याचिका खारिज की. पश्चात 26 अक्तूबर 2023 को पुनर्विचार याचिका भी नामंजूर की. इस कारण वंश ने सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी. उसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण गवई, न्यायमूर्ति राजेश बिंदाल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की न्यायपीठ ने राहत दी. उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण पर उचित तरिके से विचार नहीं किया गया, ऐसा अपने फैसले में दर्ज किया है.

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