नागपुर/ दि.17 – सक्षम प्राधिकारी अगर तय समय अवधि में भूसंपदान की प्रक्रिया पूरी नहीं करते है तो उस जमीन के मूल मालिक को आरक्षण रद्द करने का अधिकार मिलता है. महाराष्ट्र क्षेत्रिय व नगर रचना अधिनियम में ऐसा प्रावधान है इसी आधार पर मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने चार भूखंड धारकों को राहत दी है. कानूनन आरक्षित जमीन का अंतिम विकास प्रारुप लागू होने के 10 साल के भीतर संपादन करना जरुरी है. भूखंड धारक धारा 127 के तहत सक्षम प्राधिकरण को नोटिस जारी करके भूसंपादन पूरा करने की अपील कर सकता है. इसके बाद 24 माह में संपादन प्रक्रिय पूरी करना जरुरी है न करने पर भूखंड आरक्षण से मुक्त होकर मालिक के अधिकार में चली जाती है इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने बुलढाणा जिले के खामगांव स्थित भूखंड मालिक पीयूष सेजपाल और तीन को राहत दी थी.
दरसल उनके मालिकाना हक की 1.62 हेक्टयर जमीन पार्क और शॉपिंग कॉम्पलेक्स के लिए आरक्षित की गई थी. इस जमीन का दस साल तक संपादन नहीं हुआ ऐेसे में उन्होंने यह प्रक्रिया पूर्ण करने का नोटिस प्रशासन को जारी किया था. 16 फरवरी को स्मरण पत्र भी भेजा फिर भी प्रक्रिया पूर्ण न होने पर वे भूखंड मालिक हाईकोर्ट की शरण में गए हाईकोर्ट में न्या. अतुल चांदूरकर व न्या. गोविंद सानप की खंडपीठ ने भूखंड का आरक्षण रद्द करने की याचिकाकर्ता की अपील मान्य कर ली. जिसमें भूखंड मालिकों को बडी राहत मिली.