अमरावती/ दि. 29– रेती व्यवसाय की माफियागिरी रोकने के लिए और सामान्य जनता को उचित दाम में तत्काल मिले इसके लिए राज्य शासन ने नया रेती नियम बनाया है. इसमें अब नागरिको को रेती ब्रास में नहीं मैट्रिक टन के अनुसार मिलेगी. प्रधानमंत्री आवास योजना और पिछडावर्गीय घरकुल योजना के लिए रेती मुफ्त दी जायेगी. फिर भी इसके लिए लगनेवाला वाहन का किराया लाभार्थियों को देना होगा.
राज्य शासन ने नये बनाए रेती नियम में कई बदलाव किए गए. जिसमें ठेकेदारी और व्यवसायिकता पूरी तरह से बंद कर दी है. नदी घाट से रेती निकालने के लिए जिला प्रशासन को फिर से निविदा जारी करना होगा. नदी घाट से नियमानुसार रेती उत्खनन कर वह रेती डिपो तक लाने के लिए निजी ठेकेदार का चयन करना होगा. जिा प्रशासन को यह सभी प्रक्रिया में बडा नियंत्रण रखना होगा. जिले में 14 जगह डेपो तैयार किए जायेंगे. इन स्थानों पर 24 घंटे सीसी टीवी कैमरे की नजर रहेगी. इस जगह संबंधित गांव के पटवारी रोजाना भेंट देकर डेपों की जांच करना बंधनकारक किया गया है. इसके लिए नदी से कुछ दूरी पर ही सरकारी या निजी जमीन को किराए से लेकर उस पर रेती का डिपो तैयार किया जायेगा. चालान भरने से लेकर रेती ग्राहक के कब्जे में देने तक की प्रक्रिया के हर चरणों की जानकारी एसएमएस द्बारा संबंधितों को मिलेगी. नये रेती नियम में पारदर्शकता रहेगी. सुबह 6 से शाम 6 बजे तक ही रेती यातायात करना बंधनकारक किया जायेगा. शाम 6 बजे के बाद रेती यातायात को अवैध करार देते हुए कार्रवाई की जायेगी. आधार क्रमांक पंजीयन कराने के बाद ही रेती का यातायात करना होगा.
* रेती चोरी पर अंकुश, राजस्व आय में वृध्दि
रेती उत्खनन से लेकर रेती बिक्री पर सरकारी कर्मचारी का नियंत्रण रहेगा. अवैध तरीके से उत्खनन और ढुलाई शरू रहनेवाले मामलों पर अब अंकुश लगेगा. जितनी रेती बिकेगी उतना राजस्व शासन की तिजोरी में जायेगा. शासन के राजस्व में इस वजह से बडी वृध्दि होने की संभावना है.
* एक परिवार को एक माह में कितनी मैट्रिक टन रेती लगती है
* उच्च न्यायालय ने मांगी जानकारी
नागपुर- एक माह में एक परिवार को कितनी मैट्रिक टन रेती लग सकती है और एक माह में 50 मैट्रिक टन रेती दी गई तो संबंधित परिवार की जरूरत पूरी नहीं होगी क्या? इस पर संशोधनात्मक जानकारी पेश करने के निर्देश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने शुक्रवार को नये रेती नियम को चुनौती देनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद जुनघरे को दिए.
इस मामले पर न्यायमूर्तिद्बय अतुल चांदुरकर व महेंद्र चांदवानी के समक्ष सुनवाई ली गई. जुनघरे ने एक परिवार को एक माह में अधिकतम 50 मैट्रिक टन रेती देने के नियम के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है. 50 मैट्रिक टन रेती से जरूरत पूरी नहीं होगी. उससे अधिक रेती लगती है तो एक माह इंतजार करना पडेगा. जिससे लोगों को असुविधा होगी. इसके अलावा रेती के लिए महा खनिज वेबसाइट या सेतु केंद्र से ऑनलाइन बुकिंग करना पडेगा. यह नियम भी सिरदर्द करनेवाला है. इसीलिए रेती नियम में जरूरी बदलाव किया जाए, ऐसा याचिकाकर्ता का कहना है. याचिकाकर्ता की ओर से एड. अश्विन इंगोले ने काम देखा.