विदर्भ

शिक्षक पत्नी व तीन बच्चों को 16 हजार रुपए गुजारा भत्ता उचित

उच्च न्यायालय : सभी को अच्छा जीवन जीने का अधिकार

नागपुर/ दि.7 – सेवानिवृत्त शिक्षक की पत्नी व तीन बच्चे को 16 हजार रुपए मासिक गुजारा भत्ता मंजूर करना अनुचित है, ऐसा नहीं कहा जा सकता. शिक्षक की पत्नी व बच्चों के नाते से वे अब तक अच्छा जीवन जीते आ रहे है, इसके कारण आगे भी उन्हें समान जीवन जीने का अधिकार है, ऐसा मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक फैसले में स्पष्ट किया. इस गुजारा भत्ता के खिलाफ संबंधित शिक्षक ने दायर की याचिका खारिज कर दी.
न्यायमूर्ति गोविंद सानप ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. बच्चों में दो बेटी व बेटे का समावेश है. वे यवतमाल जिले के तहसील के शहर में रहते है. शुरुआत में प्रथमश्रेणी न्यायदंडाधिकारी की अदालत ने 4 दिसंबर 2015 के दिन पत्नी को 4 हजार व तीन बच्चों को प्रति 2 हजार ऐसे कुल 10 हजार रुपए मासिक गुजारा भत्ता मंजूर किया था. इसके बाद 1 अक्तूबर 2021 के दिन पत्नी को 2 हजार 500, बडी बेटी को 2 हजार, छोटी बेटी को 1 हजार और बेटे का 500 रुपए गुजारा भत्ता बढाकर दिया था. जिसके कारण मासिक गुजारा भत्ता 16 हजार हो गया. इसका शिक्षक को विरोध था. सत्र न्यायालय ने भी गुजारा भत्ता कायम रखने के कारण उसने उच्च न्यायालय में दौड लगाई. उच्च न्यायालय ने भी पत्नी व बच्चों का तहसील स्थान पर निवास, बडी हुई महंगाई, शिक्षक को सेवानिवृत्ति के बाद मिला लाभ, उनके सेवानिवृत्त वेतन, बच्चों की पढाई आदि बात को देखते हुए शिक्षक को राहत देने से मना कर दिया. 16 हजार रुपए मासिक गुजारा भत्ता अदा करना शिक्षक की क्षमता के बाहर नहीं है, ऐसा अदालत ने कहा.

गुजारा भत्ता बढाकर मांगा जा सकता
किसी व्यक्ति ने पत्नी व बच्चों की देखभाल करने से मना कर दिया, तो पीडित पत्नी व बच्चे फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत सक्षम न्यायालय में आवेदन कर संबंधित व्यक्ति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकते है. इसी तरह भविष्य में संबंधित व्यक्ति की आर्थिक आय बढ गई, महंगाई बढ गई या अन्य परिस्थिति में बदलाव होने पर धारा 127 के तहत गुजारा भत्ता बढाकर मांग सकते है.
– एड. समीर सोनवणे, उच्च न्यायालय

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