नागपुर/दि.19-पत्नी को मंजूर प्रतिमाह खावटी का विरोध करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की दिशाभूल करने से पति पर 50 हजार रूपए का दावा खर्च लगाया गया. साथ ही यह रकम पत्नी को अदा करने के निर्देश दिए गए. न्यायमूर्ति अनिल पानसरे ने पति को यह झटका दिया.
जानकारी के मुताबिक इस प्रकरण में पति नांदेड और पत्नी भंडारा जिले की रहनेवाली हैं. पारिवारिक विवाद के कारण वे अलग हो गए हैं. पत्नी ने खावटी के लिए पारिवारिक हिंसाचार कानून के तहत प्रथमश्रेणी न्याय दंडाधिकारी न्यायालय में याचिका दायर की हैं. न्यायालय ने 13 जनवरी 2022 में पत्नी को 7 हजार रूपए अंतरिम खावटी प्रतिमाह की मंजूर की थी. इसके विरोध में पति ने सत्र न्यायालय में अपील दायर की थी. पति ने 22 हजार 221 रूपए प्रतिमाह वेतन रहने और कटौती के बाद 9 हजार 221 रूपए मिलते रहने का दावा किया था. उसकी यह जानकारी दिशाभूल करनेवाली होने की बात प्रकाश में आने के कारण सत्र न्यायालय ने 6 फरवरी 2023 को पत्नी की खावटी बढाकर 12 हजार रूपए की परिणामस्वरूप पति ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी. उच्च न्यायालय को भी पति की चालाकी दिखाई दी. इस कारण दावा खर्च लगाकर उसकी याचिका खारिज की गई.
* पति ने ऐसी की दिशाभूल
पति का प्रतिमाह वेतन 65 हजार रूपए हैं. लेकिन उसने यह वेतन छिपाने का प्रयास किया. साथ ही उस पर माता-पिता अवलंबित रहने की झूठी जानकारी दी. उसके पिता को 54 हजार 911 रूपए सेवानिवृत्ति वेतन हैं. वह किसी पर निर्भर नहीं है. इसके अलावा पति ने जनवरी से अगस्त 2023 तक मासिक वेतन पत्र प्रस्तुत कर वेतन निश्चित न रहने का दावा किया. यह दावा भी झूठा था. व्यक्तिगत कर्ज, एलआयसी प्रीमियम आदि के कारण उसे कम ज्यादा वेतन मिलता हैं. इसका अर्थ उसका वेतन अनिश्चित हैं, ऐसा नहीं होता. इस ओर उच्च न्यायालय का ध्यान केन्द्रित किया गया.