नागपुर/दि.15- पुणे में रहते समय एक बार मैं और सुरेश भट ऑटो रिक्शा से किसी से मिलने जा रहे थे. रास्ते में ही उन्होंने एक पंक्ति गुनगुनाई. फिर तुरंत रिक्शा वापस घर की तरफ मोड़ने कहा. उपरांत गजल रचना में डूब गए. लगभग पूरी रात जागे. तड़के 5 बजे रचना पूर्ण हुई. भट की प्रतिभा से उस रात ‘ जीवनाची सर्व पाने/ काय सोनेरीच होती? / सारखी तेजाळणारी ओळ एखादीच होती’, यह गजल तैयार हुई. मराठी गजल को शिखर पर ले जाने वाले कविवर्य सुरेश भट की यह अलग याद गजलगो,कवि प्रदीप निफाडकर ने बतलाई.
भट का आज 15 अप्रैल जन्मदिन. भट के साथ काफी समय गुजारने वाले निफाडकर ने इस उपलक्ष्य उनकी विविध स्मृतियों को ताजा किया. निफाडकर ने बताया कि तड़के 5 बजे गजल पूरी होने के बाद उन्हें तेज भूख लगी थी. उनके समान मैं भी रातभर भूखा था. तुरंत हम एक होटल में गये. बड़े सवेरे 6 बजे तक होटल खुलने का इंतजार करने लगे. उसके बाद भट ने 12 आलुबोंडे खाये. भट के खाने पर आलोचना करने वाले उनका खाना देखते हैं, पर गजल के लिए रातभर भूखे पेट रहने वाला कवि अधिकांश ने नहीं देखा. वरिष्ठ कवि विठ्ठल वाघ तथा सुरेश भट के बीच कई बार विवाद होता. किन्तु वाघ कार से सफर करने पर भट के गीत सुनते हैं. निफाडकर ने वाघ के हवाले से कहा कि हमारा झगड़ा बाप-बेेटे के झगड़े समान है. वाघ ने सदैव भट को वरिष्ठ माना और अपना बड़प्पन दर्शाया है.
भट को खत्म मानने वाले अनेक कवि खुद खत्म हो गए. किन्तु भट आज भी रसिकों के मन में जीवित हैं. मराठी के अनेक प्रसिद्ध समीक्षकों को भट के जाने के बाद ही उनका सही आंकलन करते आया. निफाडकर ने अपेक्षा जताई कि मराठी आलोचकों को भट के साहित्य का अधिक अध्ययन करना चाहिए और उस पर लेखन करना चाहिए.
* विविध भाषाओं में साहित्य
सुरेश भट रचित साहित्य विविध भाषाओं में अनूदित करने का प्रयास जारी है. उनकी अनेक कविताएं हिंदी तथा अंग्रेजी में अनूदित हो रही है. देश की विविध प्रादेशिक भाषाओं में भी उनकी कृतियों का अनुवाद होगा.