विदर्भ

बच्चू कडू के प्रयासों से मिली सावित्री को राहत

पति ने बच्चे पत्नी सहित सावित्री को बेसहारा छोड़ दिया

  • उमेद संकल्प संस्था ने दिखाई मानवता

नागपुर/दि.1 – शादी के समय पति पत्नी सातफेरे लेते है. उस समय जन्मभर साथ निभाने का वादा करते है. किंतु एक निष्ठुर पति ने दूसरी महिला के पीछे पड़कर अपनी पत्नी को तीन बच्चे सहित बेसहारा छोड़ दिया . उसे जगह-जगह संकट का सामना करना पड़ा. मां बेटी की तू-तू मैं मैं हुई. कहीं भी सहारा न मिलने से अखेर एक समाजसेविका के माध्यम से व मंत्री के प्रयास से उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. अब यह अस्पताल ही उसका मां का घर बन गया है.
यह कहानी अमरावती जिले के एक गांव की आध्ाुनिक सावित्री की है. 30 वर्षीय सावित्री मानसिक रूप से पीड़ित होने से रोज मजदूरी करनेवाले पति ने पत्नी व तीन बच्चे छोड़कर अपना अलग संसार बसाया. पति ने धोका देने के कारण सावित्री व उसके तीनों बच्चे रास्ते पर आ गये. उसके रिश्तेदारों ने भी उसे कोई सहारा नहीं दिया. पड़ोसियों ने थोडा बहुत सहारा देने के कारण चारों ने अपने जीवन के कुछ दिन किसी तरह निकाल लिए. कोरोना का संकट होने के कारण पड़ोसियों ने भी अपने हाथ रोक लिए. गांववासी भी उसीे परेशान करने लगे. पागल समझकर उससे चाहे जैसा व्यवहार करने लगे. जिसके कारण सावित्री की मानसिक स्थिति और खराब हो गई. उसके बच्चों का भी बुरा हाल होने लगा. आखिर एक रिश्तेदार ने एक 9 साल की लड़की को सामाजिक कार्यकर्ता मंगेशी मून के रोठा में अनाथ बच्चों का संगोपन करनेवाले उमेद संकल्प संस्था में लाकर छोड़ा. 4 वर्ष के लड़के को वे लेकर गये तथा दो वर्ष की लड़की को सावित्री के ही पास रखा.
मां बेटी को भोजन न मिलने से उनकी स्थिति दिनों दिन खराब होती चली गई. सावित्री की दयनीय स्थिति देखकर रिश्तेदारों ने उसे पागल खाने में लेकर जाने की मंगेशी से विनती की. किंतु बार-बार विनती करके भी नागपुर के मनोरूग्णालय के डॉक्टर सावित्री को भर्ती करने के लिए राजी नहीं थे. अनेक लोग मरीज को ले जाकर पटक देते है बाद में झांककर भी नहीं देखते. ऐसा कहकर डॉक्टरों ने दवा देकर उसे टालने का प्रयास किया.
सावित्री ठीक होने के बाद उसे लेकर जायेंगे, ऐसा मंगेशी ने लिखकर दिया. किंतु कोई भी फायदा नहीं हुआ. रिश्तेदार भी सावित्री को रखने के लिए तैयार नहीं थे. आखिर मंगेशी ने मंत्री बच्चू कडू को फोन करके स्थिति बताई. डॉक्टरों से बात करने के बाद सावित्री को भर्ती कर लिया. अब मनोरूग्णालय में उसका उपचार जारी है. सावित्री का एक पुत्र रिश्तेदार के पास है. दो लड़कियों मंगेशी के आश्रम में अपनी मां की याद में अनाथ बच्चों के साथ खेल रही है.

निष्ठुर पति ने सावित्री व उनके तीन बच्चों को इस प्रकार बेसहारा छोड देना बहुत दु:खदायी बात है. संजोग से बच्चू कडू के प्रयासों से सावित्री पर उपचार शुरू है. मैं बच्चों को संभाल लूंगा. परंतु सावित्री के भविष्य का सवाल आज भी कायम है.
– मंगेशी मून, उमेद संकल्प संस्था

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