विदर्भ

मेलघाट के कई गांवों में भीषण जलकिल्लत

ग्रामीणों को पानी के लिए भटकना पड रहा इधर से उधर

* 7 स्थानों पर लगाए गए टैंकर, 60 कुओं का हुआ अधिग्रहण
अमरावती/दि.26 – आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र के दुर्गम व पहाडी गांवों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए हर तरह का मौसम एक तरह से दुश्मन की भूमिका निभाता है. इस समय जहां भीषण गर्मी का मौसम जारी रहने के दौरान मेलघाट के आदिवासियों को पानी की जबर्दस्त किल्लत का सामना करना पड रहा है और वे बुंद-बुंद पानी के लिए इधर से उधर भटकने हेतु मजबूर है. वहीं दूसरी ओर आगामी बारिश के मौसम दौरान जब आसमान से पानी बरसेगा और मेलघाट के आदिवासी गांवों में जमीन पर हर ओर पानी ही पानी रहेगा. इसी पानी की वजह से दुर्गम पहाडी इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को काफी तरह की दिक्कतों का सामना करना पडेगा. क्योंकि उस समय बाढ व बारिश की वजह से दुर्गम गांवों का अन्य इलाकों के साथ संपर्क टूट जाता है. साथ ही साथ गांवों के भीतर जलजन्य बीमारियों का प्रकोप भी देखा जाता है. ऐसे में स्थानीय प्रशासन को इस समय जलकिल्लत की समस्या को दूर करने हेतु आवश्यक प्रबंध करने के साथ-साथ आगामी बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए मेलघाट क्षेत्र में तमाम आवश्यक प्रबंध करने पड रहे है. जिसके तहत 7 गांवों में जलापूर्ति हेतु टैंकर लगाए गए है. वहीं 60 कुओं का अधिग्रहण किया गया है, ताकि संबंधित क्षेत्र के ग्रामीणों को साफ-सूथरा पानी सुरक्षित तरीके से उपलब्ध कराया जा सके.
उल्लेखनीय है कि, इस समय जहां एक ओर मेलघाट में पानी को लेकर भटकंती का दौर चल रहा है. वहीं दूसरी ओर दुरदराज वाले इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों में अभी से ही बारिश के आगामी सीजन को लेकर भय भी देखा जा रहा है. क्योंकि बारिश के मौसम दौरान इन गांवों में आवागमन के साधन बंद हो जाते है और स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं व सुविधाएं इन गांवों तक नहीं पहुंच पाती है. जिसके चलते ऐन बारिश के मुहाने पर गांववासियों द्बारा गांव को छोडने की तैयारी की जाती है और कई बार तो गांव के गांव खाली हो जाते है. ऐसे में प्रशासन द्बारा इस समय जहां एक ओर मेलघाट के दुर्गम आदिवासी गांवों में पर्याप्त जलापूर्ति करने हेतु आवश्यक कदम उठाए जा रहे है, वहीं दूसरी ओर बारिश के आगामी सीजन को देखते हुए गांवों में स्वास्थ्य जांच व प्रतिबंधात्मक टीकाकरण का दौर भी शुुरु कर दिया गया है. इसके अलावा कई इलाकों में आवागमन को सुचारु रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे है.

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