विदर्भ में कल से ‘तुम्हारे कदमों के नीचे साया’!
17 से 28 मई तक शून्य छाया दिवस

नागपुर /दि.16– सूर्य का उत्तरायण अब शुरू हो चुका है, यानी सूर्य भूमध्य रेखा से 23.5 डिग्री उत्तर की ओर बढ़ रहा है. इस दौरान कर्क रेखा तक सूर्य के मार्ग में जो देश और शहर आएंगे, वहां एक दिन कुछ क्षणों के लिए किसी व्यक्ति या वस्तु की छाया पड़ेगी. यह ठीक पैरों के नीचे होगा, जो दिखाई नहीं देगा. वह गायब नहीं हुई होगी. लेकिन नजर नहीं आएगा. इसे ‘शून्य छाया दिवस’ कहा जाता है.
शून्य छाया की यह खगोलीय घटना शनिवार से विदर्भ में शुरू हो रही है. सूर्य का उत्तरी और दक्षिणी पथ पृथ्वी से 23.50 डिग्री दक्षिण और उत्तर में है. अर्थात कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच की सभी भूभाग पर सूर्य वर्ष में दो बार अपराह्न और दो बार शून्य छाया वाले दिन आते हैं. एक बार उत्तरायण के दौरान यानी मई के महीने में और दूसरी बार दक्षिणायन के दौरान जुलाई से अगस्त के महीने में. इस अवधि में मकर और कर्क राशि के बीच पड़ने वाले देशों में शून्य छाया का अनुभव हो सकता है. यह घटना एक सेकंड तक चलती है, लेकिन इसका असर एक से डेढ़ मिनट तक दिखाई देता है. महाराष्ट्र में 3 मई से 31 मई तक शून्य छाया दिवस होता है. कोल्हापुर सावंतवाड़ी जिले में 3 मई को और धुले जिले में 31 मई को शून्य छाया दिवस का अनुभव होता है. भारत से आखिर में मध्यप्रदेश के भोपाल के पास से 23.50 डिग्री पर से कर्क रेखा गई है. यह भारत की अंतिम शून्य छाया भूमि है. इसके आगे कहीं भी शून्य छाया नहीं है. विदर्भ में 15 मई से गड़चिरोली जिले के सिरोंचा में शून्य छाया होती है. आखिर में इसका अनुभव 28 मई तक गोंदिया जिले में होता है.