विदर्भ

वर्धा में दिखा शरद पवार का पॉवर, अमर काळे जीते

नये प्रत्याशी के सामने पहलवान चित, हैट्रीक चूकी

वर्धा/दि.5– वर्धा संसदीय क्षेत्र में भाजपा के ‘पहलवान’ प्रत्याशी रामदास तडस को शरद पवार गुट वाली राकांपा की ओर से पहली बार लोकसभा चुनाव लडने वाले नये नवेले प्रत्याशी अमर काले ने पटखनी दे दी है. जिसके चलते दो बार वर्धा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके रामदास तडस इस बार हैट्रीक लगाने से चूक गये.

वर्धा संसदीय क्षेत्र के चुनावी अखाडे में कुल 24 प्रत्याशी थे. जिनमें से मुख्य मुकाबला भाजपा के रामदास तडस व शरद पवार के नेतृत्ववाली राकांपा के पूर्व विधायक अमर काले के बीच था. भाजपा ने तीसरी बार रामदास तडस को उम्मीदवारी दी थी. जिनके खिलाफ महाविकास आघाडी ने कांग्रेस के पूर्व विधायक अमर काले को शरद पवार गुट की ओर से प्रत्याशी बनाया. इन दोनों प्रत्याशियों के बीच ही मुख्य मुकाबला हुआ तथा मतगणना के बाद अमर काले ने 58 हजार 889 वोटों की लीड हासिल करते हुए जीत प्राप्त की. इस चुनाव में राकांपा प्रत्याशी अमर काले को 4 लाख 58 हजार 813 वोट मिले. वहीं भाजपा प्रत्याशी रहने वाले रामदास तडस 3 लाख 99 हजार 838 वोट हासिल करते हुए दूसरे स्थान पर रहे.

* पूर्व मंत्री अनिल देशमुख की प्रतिष्ठा लगी थी दाव पर
बता दें कि, वर्धा संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार रहने वाले अमर काले राकांपा नेता व पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के भांजे है और विदर्भ से केवल वर्धा संसदीय क्षेत्र में ही शरद पवार के नेतृत्ववाली राकांपा की ओर से प्रत्याशी मैदान में उतारा गया था. जिसके चलते यह सीट शरद पवार गुट वाली राकांपा के लिए भी प्रतिष्ठापूर्ण थी. जिसके चलते पार्टी प्रमुख शरद पवार खुद इस संसदीय क्षेत्र पर ध्यान रखे हुए थे. साथ ही साथ पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने भी अपने भानजे अमर काले के प्रचार का जिम्मा संभाले रखा था और आखिरकार इस प्रतिष्ठापूर्ण लडाई में राकांपा प्रत्याशी अमर काले ने बाजी मारी.

* भाजपा नेताओं की सभाओं का कोई परिणाम नहीं
भाजपा प्रत्याशी रामदास तडस के प्रचार हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा तलेगांव श्यामजी पंथ में हुई थी. जिसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस, अजीत पवार, नितिन गडकरी सहित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे भाजपा के तमाम बडे नेताओं की सभाएं वर्धा संसदीय क्षेत्र में हुई. जिनमें भाजपा प्रत्याशी रामदास तडस के लिए जमकर वोट मांगे गये. लेकिन उसका भी कोई विशेष फायदा नहीं हुआ.

* ग्रामीण क्षेत्र में जमकर बजी ‘तुतारी’
विशेष उल्लेखनीय है कि, अब तक वर्धा संसदीय क्षेत्र में हिंगणघाट एवं मोर्शी-वरुड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के अलावा कही पर भी राकांपा का कोई विशेष प्रभाव नहीं था. लेकिन इसके बावजूद भी इस बार महाविकास आघाडी के तहत शरद पवार ने वर्धा संसदीय क्षेत्र पर अपना दावा ठोंका तथा यह सीट राकांपा के कोटे में लेने की सफलता प्राप्त की. जिसके बाद आर्वी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व विधायक रहने वाले अमर काले को राकांपा ने अपना प्रत्याशी बनाते हुए सभी को हैरत में डाल दिया. इसके उपरान्त राकांपा प्रत्याशी अमर काले की जीत के लिए महाविकास आघाडी में शामिल तीनों दल ने एकजूट होकर काम करना शुरु किया और राकांपा नेता शरद पवार सहित शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे व आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के साथ ही सुषमा अंधारे की सभाओं ने अमर काले के पक्ष में जमकर माहौल बनाया. जिसके चलते वर्धा संसदीय क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में राकांपा की ‘तुतारी’ जमकर बजी. जिसके चलते अमर काले विजयी हुए.

* तडस पर निष्क्रियता पडी भारी
सांसद रामदास तडस के लिए भाजपा की ओर से उम्मीदवारी घोषित होते ही भाजपा के पूर्व सांसद सुरेश वाघमारे ने पार्टी द्वारा लिये गये फैसले के खिलाफ आवाज उठाई और रामदास तडस पर पूरे कार्यकाल के दौरान निष्क्रिय रहने का आरोप लगाया. इसके साथ ही रामदास तडस को दूसरी चुनौती खुद अपने घर से ही मिली. जब सांसद तडस की बहू पूजा शेंद्रे ने नामांकन भरते हुए तडस की दावेदारी को चुनौती दी. इसके साथ ही इस बार तेली-कुणबी समाज के वोटों का भी विभाजन हुआ और इन्हीं तमाम बातों की वजह से रामदास तडस को जमकर झटका लगा.

* क्या हुआ था वर्ष 2019 में?
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामदास तडस ने रिकॉर्ड 5 लाख 75 हजार 364 वोट हासिल किये थे. जिनके मुकाबले में रहने वाले कांग्रेस प्रत्याशी चारुलता टोकस ने 3 लाख 91 हजार 171 वोट हासिल किये थे. वहीं वंचित बहुजन आघाडी के धनराज वंजारी को मात्र 36 हजार 452 वोट मिले थे.

* इस बार चुनाव में ऐसी रही स्थिति
कुल प्रत्याशी – 24
कुल मतदाता – 16,82,771
प्रत्यक्ष मतदान – 10,91,349
मतदान का प्रतिशत – 64.85%
अमर काले (राकांपा शरद पवार) – 5,30,003
रामदास तडस (भाजपा) – 4,48,048
मोहन राईकवार (बसपा) – 20,618
डॉ. राजेंद्र सालुंके (वंचित) – 15,352
वोटों की लीड – 58,889

* क्यों जीती मविआ?
– केंद्र सरकार को लेकर आम नागरिकों में रहने वाले रोष तथा किसानों, बेरोजगारों, युवाओं व मजदूरों में रहने वाली नाराजगी को मविआ ने जमकर हवा दी और इसका फायदा उठाया.
– पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, वरिष्ठ नेता शरद पवार, आप के सांसद संजयसिंह एवं सुषमा अंधारे की सभाओं ने मविआ प्रत्याशियों के पक्ष में शानदार प्रचार किया.
– मविआ नेताओं की सभाओं ने लगातार केंद्र सरकार की सफलताओं एवं विभिन्न राजनीतिक दलों को तोडने जैसे मुद्दें उठाये गये. जिन्हें आम जनता का समर्थन मिला.

* क्यों हारी महायुति?
भाजपा ने रामदास तडस को लगातार तीसरी बार उम्मीदवारी दी. यह बात वर्धा संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं को पसंद नहीं आयी.
– विगत 10 वर्षों के दौरान रामदास तडस ने वर्धा संसदीय क्षेत्र में कोई बडा उद्योग नहीं लाया. जिसके चलते बेरोजगारी की समस्या जस की तस बनी हुई है.
– कांग्रेस के कार्यकाल वाले आईटी पार्क का काम भी रामदास तडस पूरा नहीं करवा पाये. यह बात भी उनके लिए काफी भारी पडी.

Related Articles

Back to top button