विदर्भ

नगराध्यक्षा स्वाती आंडे को कारण बताओ नोटीस

नगर विकास मंत्रालय ने मांगा 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण

वरुड/दि.14 – नगराध्यक्षा स्वाती युवराज आंडे को नगर विकास मंत्रालय द्बारा नोटीस जारी कर 15 दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण दिये जाने के आदेश दिये गये. यदि नगराध्यक्षा स्वाती आंडे ने 15 दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण नहीं दिया तो उनका इसमें कुछ कहना नहीं है. ऐसा समझकर उन पर कार्रवाई की जाएगी. ऐसा नोटीस में लिखा होने पर राजनीतिक क्षेत्र में खलबली मच गई. बता दें कि, नगराध्यक्ष स्वाती आंडे के खिलाफ 18 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव अगस्त 2020 में लाया था. जिसमें इन पार्षदों ने कामों को लेकर अनियमितता व कर्तव्य का पालन न करने का अरोप लगाते हुए जिलाधिकारी कार्यालय में अविश्वास प्रस्ताव दाखल किया था.
जिसमें जांच समिति द्बारा रिपोर्ट प्राप्त होते ही जिलाधिकारी ने रिपोर्ट नगर विकास मंत्रालय को भिजवाई थी. आखिरकार नगर विकास मंत्री ने रिपोर्ट के आधार पर नगराध्यक्षा द्बारा अशोभनीय व्यवहार किये जाने व कर्तव्य का पालन न करने का आरोप लगाते हुए 15 दिनों के भीतर नगराध्यक्षा स्वाती आंडे से स्पष्टीकरण मांगा है. नगराध्यक्षा स्वाती युवराज आंडे पर कामों में अनियमितता और अपने अधिकारों का इस्तेमाल गैर कानूनी तरीके से करने का आरोप लगाते हुए पार्षद अर्चना आजनकर सहित सत्ताधारी विरोधी पक्ष के 17 पार्षदों ने जिलाधिकारी कार्यालय में अविश्वास पत्र दाखिल किया था. जिसमेें पहचान परेड लेकर उपविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति नियुक्त की गई थी.
जांच समिति ने जांच कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को पेश की थी. जिलाधिकारी द्बारा यह रिपोर्ट नगरविकास मंत्रालय को भिजवाई गई. इस पर नगर विकास मंत्रालय ने निर्णय लेते हुए कहा कि, शहर की 48.5 मीटर लंबी नाली के निर्माण की निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के पहले ही मौखिक सूचना के आधार पर निजी स्तर पर काम कर लिया गया. संबंधित ठेकेदार को किसी भी प्रकार के आदेश नहीं रहते हुए आदेश लेकर काम करवाने का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया.
जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायती व औद्योगिक नागरिक अधिनियम 1965 की कलम 55-1 व 55 (अ) भंग किया है और यह नगराध्यक्ष पद के लिए अशोभनीय है. जिस पर नगर विकास मंत्रालय ने 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण दिये जाने के आदेश नगराध्यक्षा स्वाती आंडे को दिये. 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता है, तो एक तर्फा कार्रवाई किये जाने का उल्लेख नोटीस में किया गया है. जिसकी वजह से राजनीतिक क्षेत्र में खलबली मच गयी.

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