विदर्भ

छोटे बच्चों को लग रहा है चष्मा

बिक्री बढ़ी; ऑनलाइन क्लासेस का असर

नागपुर/दि.5 – कोरोना से बदली हुई जीवनशैली का परिणाम छोटे बच्चों की आंखों पर होने से अनेक छोटे बच्चों को चष्मा लगने का प्रमाण काफी बढ़ गया है.
विगत सवा वर्ष से कोरोना के कारण स्कूलों में प्रत्यक्ष पढ़ाना बंद है. जिससे शाला ऑनलाइन ली जा रही है. पहले घरघर में शालेय बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जाता था, अब मात्र ऑनलाइन क्लास के कारण अनेक घरों में खासतौर पर बच्चों के लिए मोबाइल आया है. लेकिन बच्चें सिर्फ पढ़ाई के लिए ही मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि बाद के समय में उस पर गेम खेलने का प्रमाण काफी बढ़ते दिखाई दे रहा है, जिसका असर उनकी आंखों पर हो रहा है. इससे 5 से 15 वर्ष के बच्चों को नंबर के चष्मे लगने का प्रमाण बढ़ा है और चष्मे की दूकानों में छोटों के लिये चष्मे की मांग बढ़ने की बात गादेवार ऑप्टिकल्स के प्रवीण गादेवार ने दी.
पहली लहर के समय ऑनलाइन स्कूल शुरु हुई थी. लेकिन उसका असर अब दिखाई देने लगा है. ऑनलाइन क्लास करने वाले 50 प्रतिशत बच्चों में आंखों की समस्या पायी जा रही है. इसमें आंखें सुखी होना आदि लक्षण दिखाई देने बाबत जानकारी डॉक्टरों ने दी. जिन बच्चों को पहले से ही चष्मा था, उनके नंबर अब बढ़ गए है. सर्वसाधारण व्यक्ति की पलकों का खुलना बंद होना एक मिनट में 12 से 14 बार होता है. लेकिन बच्चों में अब वह कम होते दिखाई देने की बात की ओर डॉ. अलोणे ने ध्यानाकर्षित किया.
लॅपटॉप, कम्प्युटर महंगे होते है. इस कारण अधिकांश पालक अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए मोबाइल या टॅब लाकर देते हैं. ये दोनों बातें आंखों के बिल्कुल पास लेकर इस्तेमाल करने की है. एकदम पास में लेकर किसी वस्तु अधिक समय तक इस्तेमाल करने पर मायोपिया होने की संभावना रहती है. इस बीमारी में दूर की वस्तु धुंधली दिखाई देने लगती है. उसे सुधारने के लिए चष्मा, लेंस का इस्तेमाल करने की जरुरत पड़ती है. अपनी आंखों का फोकस लगातार बदलता रहता है. लेकिन एक ही अंतर से अनेक बार हमें एक ही स्क्रिन की ओर देखना पड़ता है. अपनी आंखों का फोकस एक ही जगह पर स्थिर रहता है. इस कारण आंखों की स्नायूओं पर तनाव पड़ता है और वे कमजोर होती है. बावजूद इसके स्क्रिन की ओर देखते समय विशेषतः छोटे बच्चे मग्न हो जाते है. उसमें वे आंखें खुली बंद करना ही भूल जाते हैं. अनेक बार बिल्कुल नैसर्गिक और सहज होता है. इस कारण आखों का गीलापन बरकरार रहता है. लेकिन स्क्रीन की ओर देखते समय आंखें सूखी हो जाती है. वह सूखापन दूर करने के लिए आंखों से अधिक पानी आता है. ऐसे में अंधेरे रुम में स्क्रीन की ओर देखते रहने से उसमें की किरण के कारण आंखों के पर्दे का नुकसान होता है. ऐसा भी डॉ. अलोणे ने बताया.

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