‘समृद्धि’ से रेती की तस्करी
वर्धा जिले की नदी से अमरावती, यवतमाल, चंद्रपुर जिले में नियमबाह्य आपूर्ति
वर्धा/दि.11– वर्धा, यशोदा, वणा इन नदियों में से रेत का उत्खनन करने के लिए घाटो की निलामी की गई है. इन घाटो में से बाहर निकाली गई रेती डेपो में जमा कर उसकी ऑनलाईन नंबर के अनुसार जरुरतमंदो को वितरित करने का नियम राजस्व विभाग ने शुरु किया है. इस नियम का उल्लंघन कर रात के समय रेत का उत्खनन कर उसे बिना नंबर के ट्रक और टिप्पर द्वारा समृद्धि महामार्ग से अमरावती, यवतमाल और चंद्रपुर जिले में तस्करी होने की जानकारी सामने आई है.
बताया जाता है कि, खनिकर्म विभाग की तरफ से नदी के रेतीघाट की निलामी की गई. डेपो भी वितरित किए गए. ऑनलाईन रेती का वितरण करने के नियम बनाए गए. लेकिन घाट से अवैध उत्खनन कर रेती सीधे खुले बाजार में बिक्री की जा रही है. यह रेत रात के समय नाव से नदी से बाहर निकाली जाती है. पोकलैंड की सहायता से ट्रक में भरकर रॉयल्टी बचाई जाती है. यह रेती तस्करी करनेवाले ट्रक बिना नंबर के रहते है. शाम 6 बजे के बाद यह ट्रक सडको पर आते है और समृद्धि महामार्ग से रात के समय यह रेती वर्धा जिले से अमरावती, यवतमाल और चंद्रपुर जिले में पहुंचाई जाती है. शाम 6 से सुबह 10 बजे के दौरान यह तस्करी होती है. आष्टी, आर्वी, देवली और हिंगणघाट तहसील से वर्धा नदी बहती है. इस नदी से सर्वाधिक रेती का उत्खनन किया जाता है. कानगांव परिसर का सती रेतीघाट रेत तस्करी के लिए काफी चर्चित रहने की जानकारी है. वर्धा जिले के अनेक घरकूल का निर्माण रेती न मिलने से ठप पडा है. दूसरी तरफ यही रेती अन्य जिलो में तस्करी किए जाने से रोष बढने लगा है. पिछले 6 माह में रेती भरकर यातायात करनेवाले टिप्पर, ट्रक और ट्रैक्टर पर काफी कार्रवाई हुई है. अनेको को गिरफ्तार कर वाहन जब्त किए गए है. इसका कोई भी असर रेत माफियाओं पर नहीं हुआ है. खुलेआम रेती से भरे वाहन भरकर सडको से दौड रहे है.
* जिम्मेदारी निश्चित फिर समस्या
रेती उत्खनन की नीति तैयार करते समय 7-8 विभाग के अधिकारी मिलकर नदी का जायजा करते है. इसमें प्रमुख रुप से पर्यावरण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, परिवहन विभाग, वन विभाग, खनिकर्म और भूवैज्ञानिक आदि का प्रमुख रुप से समावेश रहता है. रेती उत्खनन करने के लिए आवश्यक नियमों पर अमल करने के लिए जिलाधिकारी से लेकर कोतवाल तक सभी जिम्मेदार रहते है, ऐसा नियम कहता है. जिलाधिकारी राहुल कर्डीले, अतिरिक्त जिलाधिकारी नरेंद्र फुलझेले के साथ तहसीलदार और नायब तहसीलदार ऐसे राजस्व विभाग की बडी फौज कार्यरत है. समृद्धि महामार्ग से यह रेती जाते समय कार्रवाई क्यों नहीं की जाती ऐसा सवाल भी इस निमित्त उपस्थित किया जाता है.
* जांच के लिए प्रधानमंत्री को पत्र
भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महासचिव वरुण पांडे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल रमेश बैस और राजस्व मंत्री रहे राधाकृष्ण विखे पाटिल को पत्र लिखकर वर्धा के रेत तस्करी की समस्या की तरफ ध्यान केंद्रित किया है. रेती घाट पर भारी मात्रा में अवैध उत्खनन हुआ रहने से ईटीएस की बिनती करने, अधिकारी और रेत माफिया की ईडी, एसीबी जांच करने की मांग पांडे ने की है. इसके अलावा अधिकारियों के संपत्ति की जांच आयकर विभाग से करने की मांग कर उन्होंने खलबली मचा दी है.
* उत्खनन नियमबाह्य
नदी से रात के समय उत्खनन करना नियमबाह्य है. प्रशासन का भय न रहने से नियम का उल्लंघन खुलेआम किया जा रहा है. प्रशासन ने चाहा तो यह रेत तस्करी रोकना संभव है. लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. जनता से खिलवाड किया जा रहा है. तेलंगना सरकार ने रेत तस्करी रोकने के लिए खुद रेती की बिक्री के लिए कदम उठाएं. खुद ने रेती के डिपो चलाए. इसी कारण रेत माफिया समाप्त हुए.
– सुनील रहाणे
निवृत्त अभियंता तथा चलो जाने नदी के प्रकल्प के समन्वयक.
* जानकारी मिलने पर कार्रवाई की जाती है
रेत तस्करी की हमें जानकारी मिलते ही हमेशा कार्रवाई की जाती है. गोपनीय जानकारी के आधार पर कार्रवाई होती है. इसके लिए दल भी नियुक्त है. रेत तस्करी पर लगाम लगाने के प्रयास हो रहे है.
– दीपक करंडे
वर्धा उपविभागीय अधिकारी.
* वर्धा जिले की प्रमुख नदियां
– धाम
– वणा
– पोथरा
– यशोदा
– बोर
– वर्धा