विदर्भ

अंधश्रद्धा से बढी कछुआ की तस्करी

इच्छापूर्ति के लिए 21 नख वाले की डिमांड

नागपुर/दि.23- अटके हुए काम पूर्ण होने, भरपूर धन प्राप्त होने, स्वास्थ्य अच्छा रहने जैसी इच्छाओं पर दुनिया में हर कोई काम करता है. किंतु सभी इच्छा-आकांक्षा पूर्ण करने अंधश्रद्धा की चपेट में आनेवालों की भी काफी ंसंख्या है. मनुष्यों की इस अंधश्रद्धा के कारण कछुआ की तस्करी बढने के मामले देखे गए हैं. गत डेढ-दो दशक में तो ऐसी कछुआ, मांडूल जैसे प्राणियों की मांग बढी है. कोई-कोई कछुआ 15 हजार से 25 हजार रुपए तक बेचा जाता है. 20 और 21 नख वाले कछुए की कीमत आसमान छूं जाती है. उल्लेखनीय है कि आज विश्व कछुआ दिवस है.
कछुए को वास्तुशास्त्र में भी उल्लेख होने से कई लोग जीवित अथवा कांच, धातु के कछुए रखने की सलाह देते हैं. आर्थिक दिक्कत रहनेवाले अथवा झटपट पैसे कमाने की लालसा में यह मार्ग चुना जाता है. यह भी मान्यता है कि कछुआ घर में रखने पर सकारात्मक उर्जा रहती है. स्वास्थ्य अच्छा रहता है और लंबी आयु प्राप्त होती है.

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