विदर्भ

बेटे ने घर से बाहर निकाला मां को, अदालत ने दिलवाया घर

घर लौटाने के न्यायालय के निर्देश

नागपुर/दि.3– माता-पिता निर्वाह कानून के कारण मुंबई की एक पीडित मां को न्याय मिला. गत 30 जनवरी को उच्च न्यायालय ने इस कानून के मुताबिक बेटे अपने पालकों को बाहर निकालकर उनका घर हडप नहीं कर सकते, ऐसा निर्णय देकर पीडित मां को उसका घर 15 दिन में लौटाने के आदेश संबंधि बेटे को दिए है. इस कारण यह महत्वपूर्ण कानून फिर से चर्चा में आ गया.

केंद्र सरकार ने 2007 से माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक का ‘निर्वाह व कल्याण कानून’ लागू किया है. माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण करना और उन्हें सम्मानजनक व सुरक्षित जीवन बिताते आ सकने के लिए वातावरण का निर्माण करना यह कानून का उद्देश्य है. इसके लिए इस कानून में विविध महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. इसका लाभ पीडित माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को मिल रहा है. इस कानून के कुछ प्रमुख प्रावधान इस तरह है.

* निर्वाह भत्ता मांगने का अधिकार
खुद की कमाई से अथवा मालकी की संपत्ति से खुद का निर्वाह करने में असमर्थ रहे माता-पिता व वरिष्ठ नागरिक जिम्मेदार व्यक्ति से निर्वाह भत्ता हासिल करने के लिए इस कानून के तहत स्थापित सक्षम न्यायाधिकरण में आवेदन दाखिल कर सकते हैं. माता-पिता को बेटे के खिलाफ और संतान न रहे वरिष्ठ नागरिकों को रिश्तेदारों के खिलाफ यह आवेदन करते आ सकता है. निर्वाह भत्ते में रोटी, कपडा और मकान सहित वैद्यकीय उपचार खर्च का समावेश रहता है.

* गुहार के लिए न्यायाधिकरण की स्थापना
इस कानून के तहत प्रकरणों का निपटारा करने के लिए राज्य में उपविभागीय अधिकारी अथवा उसी दर्जे के अधिकारियों की अध्यक्षता में आवश्यक न्यायाधिकरण स्थापित किए गए हैं. न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ अपीलिय न्यायाधिकरण के पास गुहार लगाई जा सकती है. मुंबई के प्रकरणों में पहले इस न्यायाधिकरण ने पीडित माता को राहत दी थी. इस कारण बेटे ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

* हो सकती है कारावास की सजा
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को पूर्ण रुप से परित्याग करने के मकसद से छोड दिया तो संबंधित व्यक्ति को दोष सिद्ध होने के बाद तीन माह तक सश्रम कारावास की सजा, 5 हजार रुपए तक जुर्माना अथवा यह दोनों सजा सुनाई जा सकती है. कानून की धारा 24 में यह प्रावधान किया गया है. साथ ही इस कानून के तहत प्रत्येक मामले दखलपात्र है.

* अन्याय सहन नहीं करना चाहिए
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को अन्याय सहन नहीं करना चाहिए. उन्होंने खुद के अधिकार के लिए लडना चाहिए. उनके अधिकार का संरक्षण करने के लिए और उन्हें न्याय दिलवाने के लिए प्रभावी प्रावधान इस कानून में किए गए हैं. इसके लिए पीडिता सक्षम न्यायाधिकरण में आवेदन दाखिल करे. वह चुप बैठे तो अन्याय को फिर से चालना मिलेगी.
– एड. शशिभूषण वाहाने

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