विदर्भ

सोनटक्के परिवार की पहल

अंगदान का फैसला लेकर तीन लोगों को नया जीवन

* नागपुर एम्स में किया था भर्ती
नागपुर/दि.19– वह उंचाई पर इलेक्ट्रीशियन का काम कर रहा था. अचानक संतुलन बिगडा और वह नीचे गिर गया. सिर पर गंभीर चोट लगी. ‘एम्स’ में उपचार जारी होने के दौरान उसको ‘ब्रेन डेड’ घोषित कर दिया गया. अपने छोटे भाई को बचा नहीं पाने का दर्द उसको सताता रहा. लेकिन उसने एक निर्णय लिया. छोटे भाई को अंगों के तौर पर जिंदा रखने का. उसकी इस मानवतावादी पहल से तीन लोगों को नई जिदंगी मिल गई और दो लोगों को दृष्टि मिली.

अंगदाता का नाम राकेश सोनटक्के (24) नवेगांव साधु उमरेड निवासी है. राकेश पेशे से इलेक्ट्रीशियन था. उसके परिवार में मां मंगला, पिता रविंद्र और बडा भाई पीयूष है. 6 मार्च को राकेश उंचाई पर इलेक्ट्रीशियन का काम कर रहा था. अचानक वह नीचे गिरा. उसे नागपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था में दाखिल कराया गया. यहां 11 दिनों तक उसका इलाज होता रहा. कोई असर नहीं दिख रहा था. उसके मस्तिष्क में भारी रक्तस्त्राव हो गया था. एम्स के डॉक्टरों की टीम ने 16 मार्च को जांच के बाद मस्तिष्क मृत घोषित कर दिया. ‘एम्स’ समन्वयक प्रीतम त्रिवेदी और प्राची खैरे दोनों ने परिजनों को अंगदान के प्रति समुपदेशन किया. बडे भाई पीयूष सोनटक्के ने अंगदान की सहमति दी. विभागीय प्रत्यारोपण समिति को यह जानकारी दी गई. समिति ने प्रतीक्षा सूची देखकर अंगों का दान किया.

* नागपुर से वर्धा ग्रीन कॉरिडोर
राकेश की एक किडनी एम्स के ही 52 वर्षीय पुरूष मरीज को दान की गई. दूसरी किडनी प्रतीक्षा सूची के अनुसार एवीबीआरएच सावंगी वर्धा की 36 वर्षीय महिला और इसी अस्पताल के 57 वर्षीय पुरूष को लीवर दान किया गया. नागपुर ‘एम्स’ से वर्धा सावंगी के एवीबीआरएच तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. कॉर्निया की जोडी एम्स को दान की गई.

 

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