वाशिम/ दि. 4 – फसल लेते समय रसायनिक खाद और कीटनाशकों का अति उपयोग किए जाने का दुष्परिणाम सामने आने लगा है. इसलिए मानवी आरोग्य और पर्यावरण रक्षा की दृष्टि से जैविक कृषि का अनन्य साधारण महत्व है. जिसके कारण समय की आवश्यकता को ध्यान में रखकर डॉ. पंजाबराव देशमुख जैविक कृषि मिशन द्बारा किसानों को जैविक कृषि करने के संबंध में प्रोत्साहन मिला है. परिणाम स्वरूप विगत तीन वर्ष में राज्य मेंं जैविक कृषि के क्षेत्र में विशेष वृध्दि हुई है.
जैविक कृषि करनेवाले इच्छुक किसानों को प्रोत्साहन व मार्गदर्शन करने के लिए सन 2018 वर्ष डॉ. पंजाबराव देशमुख जैविक कृषि मिशन अंतर्गत योजना चलाई गई थी. जिसके कारण 2013 में 2 लाख 77 हेक्टर पर राज्य में जैविक कृषि का क्षेत्र साधारण तौर पर 10 लाख हेक्टर पर गया है. विशेष बात यह है कि 2019 से 2022 इन तीन वर्ष में जैविक कृषि के क्षेत्र में विशेष वृध्दि हुई है. किंतु सन 2019-20 में महाराष्ट्र में 9.05 लाख मेट्रिक टन जैवीक कृषि उत्पादन हुआ था. उसी प्रकार 2020- 21 में 7. 76 लाख मेट्रिक टन व 2021- 22 मेंं 6.91 मेट्रिक टन जैविक कृषि उत्पादन हुआ है. यह आकडेवारी से जैविक उत्पादन में घट होने का राज्य की आर्थिक जांच की रिपोर्ट में स्पष्ट हो रहा है. जिसके कारण रासायनिक खाद व कीटनाशकों के अतिउपयोग के कारण अनेक वर्षो से जमीन की उपजाउ सुधारने की अत्यंत आवश्यकता निर्माण हुई है.
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* जैविक उत्पादन की मांग बढी
जैविक कृषि के कारण निविष्ठा और रासायनिक खाद पर होनेवाला खर्च कम होने से किसानों के उत्पादन में वृध्दि हुई है. उसी प्रकार कोरोना के बाद नागरिक स्वास्थ्य के संबंध में जागरूक हो गए है. जिसके कारण बडे शहर व राष्ट्रीय तथा आंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैविक उत्पादन की मांग बडी संख्या में बढी है. इसलिए किसान अब जैविक कृषि व उत्पादन का प्रमाणीकरण करके उत्पादन पश्चात बिक्री तंत्र पर अमल करना अत्यंत आवश्यक है.
* मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र का नंबर
हाल ही में देशभर में 45 लाख किसान यह जैविक कृषि कर रहे है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महाराष्ट्र में जैविक कृषि का उदय हुआ. परंतु हाल ही में मध्यप्रदेश में अधिक किसान इस कृषि प्रणाली पर अमल कर रहे है. जैविक कृषि करनेवाले 7 लाख 73 हजार किसान मध्यप्रदेश के है. जिसके कारण जैविक कृषि उत्पादन में देश में मध्यप्रदेश का प्रथम तथा महाराष्ट्र का दूसरा नंबर लगता है.