विदर्भ

शतकपूर्ति की ओर अग्रेसर दर्यापुर की श्री हनुमान व्यायाम शाला

स्वाधीनता संग्राम में भी रहा महत्वपूर्ण योगदान

  • शतकपूर्ति समारोह में आडे आया कोरोना

दर्यापुर/दि.13 – यहां के भवानीवेस में स्थित श्री हनुमान व्यायाम शाला अपनी स्थापना की शतकपूर्ति करते हुए शतकोत्तर सफर की ओर आगे बढ रही है. स्वाधीनता संग्राम के लिए युवाओं की फौज तैयार करने के उद्देश्य से इस व्यायामशाला को स्थापित किया गया था. अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर व्यायामशाला प्रबंधन की ओर से विविध कार्यक्रमों की तैयारी की जा रही थी. जिन पर कोविड संक्रमण की वजह से ब्रेक लग गया है. साथ ही किसी समय स्वाधीनता योध्दा तैयार करनेवाली इस व्यायामशाला द्वारा अब युवाओं को कोरोना योध्दा के तौर पर तैयार करते हुए समाजसेवा हेतु आगे भेजा रहा है.
जानकारी के मुताबिक दर्यापुर व परिसर के स्वाधीनता सेनानियों ने एकजूट होते हुए वर्ष 1921 में श्री हनुमान व्यायाम शाला की स्थापना की थी. ब्रिटीशराज के दौरान स्थापित हुई इस व्यायामशाला का इतिहास दर्यापुर परिसर में सर्वपरिचित है. लोकमान्य तिलक द्वारा स्वाधीनता प्राप्ती के लिए युवाओं से एकजूट होने का आवाहन किया गया था. इस हेतु व्यायामशाला से बेहतरीन कोई दूसरा उपयुक्त साधन नहीं है. इस बात के मद्देनजर भगवानसिंह ठाकुर, महादेवराव मुरडीव, दत्तात्रय गोविंद चिकटे, जनार्दनपंत देशपांडे व नाना उपासने सहित कई युवाओं ने श्री हनुमान व्यायाम शाला के माध्यम से बल उपासना व राष्ट्रभक्ति का सबक क्षेत्र के युवाओं को देना शुरू किया. दर्यापुर की एडवर्ड हाईस्कुल पर हमला करते हुए ‘वंदे मातरम्’ व ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाकर अंग्रेजों को हैरान-परेशान कर दिया था. जिसके लिए अंग्रेजों ने व्यायाम शाला के सदस्यों को गिरफ्तार करना शुरू किया. पश्चात कई सदस्य भुमिगत भी हो गये.
संभवत: 100 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करनेवाली जिले की यह एकमात्र व्यायामशाला है. ऐसे में व्यायामशाला से जुडे सदस्यों में जबर्दस्त उत्साह की लहर है और उन्होंने शतकपूर्ति अवसर पर विभिन्न सामाजिक कार्य करने की तैयारी दर्शाई है. जिसके लिए स्थानीय प्रशासन से निवेदन किया गया है.

जनसहभाग से चलता है काम

लोकमान्य तिलक के आव्हान पर शुरू किये गये गणेशोत्सव जैसे आयोजन के तहत योग, व्यायाम शिबिर, राष्ट्रभक्ति वर्ग व बौध्दिक वर्ग आदि कार्यक्रम इस व्यायाम शाला के माध्यम से अबाधित तौर पर जारी है. इस हेतु सरकार से किसी भी तरह का कोई अनुदान नहीं लिया जाता है. बल्कि जनसहयोग से मिलनेवाली धनराशि के जरिये सभी कार्यक्रम चलाये जाते है.

सर्वधर्मीय गणेशोत्सव मनाया जाता है

सबसे उल्लेखनीय यह है कि, इस व्यायामशाला द्वारा सभी जाति व धर्म के लोगों को एकसाथ लाते हुए गणेशोत्सव मनाने की परंपरा आज भी कायम रखी गयी है. यहां पर बौध्द, मुस्लीम, जैन व क्रिश्चियन धर्म के लोगों को भी गणेशोत्सव में सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाता है और अब तक अलग-अलग धर्म के लोगों ने इस उत्सव में अध्यक्ष पद का जिम्मा संभाला है.

मंडल में इनका योगदान रहा महत्वपूर्ण

तत्कालीन अध्यक्ष स्व. अशोकसिंह गहरवार, रमेश नाकट, विठ्ठल खंडारे, राजेेंद्र बालापुरे, विजयसिंह गहरवार, अशोक देशमुख, सुरेश होले आदि ने इस व्यायामशाला के विकास व विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आज भी यहां पर सभी धर्म, समाज एवं जाति के नागरिक एकजूट होकर नई पीढी को राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत करने का काम कर रही है.

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