विदर्भ

लडकी का एक बार पीछा करना ‘पोक्सो’ के तहत अपराध नहीं माना जा सकता

आरोपी को बरी करते समय उच्च न्यायालय की राय

नागपुर /दि. 7– किसी लडकी का एक बार पीछा करना यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354-डी और पोक्सो कानून के प्रावधान के मुताबिक अपराध नहीं माना जा सकता, ऐसी राय उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक प्रकरण का फैसला सुनाते हुए दी है. न्यायमूर्ति गोविंद सनप की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया.
पीडिता का पीछा करने का एक ही उदाहरण रहा तो वह अपराध ठहराने के लिए पूरा नहीं है. अपराध सिद्ध करने के लिए शिकायतकर्ता की तरफ से आरोपी द्वारा अनेक बार अथवा लगातार पीछा किया है, ऐसा सिद्ध करना आवश्यक है, ऐसा भी न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया. शिकायतकर्ता पक्ष ने सिद्ध करना चाहिए कि, आरोपी अनेक बार अथवा लगातार प्रत्यक्ष अथवा इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल माध्यम से पीछा किया है. न्यायालय ने फैसले में स्पष्ट किया कि, पीडिता ने अपनी गवाही में इस प्रकरण के दूसरे आरोपी की कोई भी विशेष भूमिका नहीं बताई. दूसरा आरोपी केवल पहले आरोपी युवक के साथ था. दूसरा आरोपी केवल पीडिता के घर के बाहर खडा था और इस कारण उसे लैंगिक अत्याचार अथवा पीछा करनेबाबत दोषी ठहराया नहीं जा सकता. इस कारण न्यायालय ने उसे सभी आरोपो से मुक्त कर दिया.

* पहले आरोपी की सजा कायम
लैंगिक अत्याचार के प्रकरण का विचार करते हुए पहले आरोपी ने उसके घर में प्रवेश किया और पीडिता का मुंह दबाया और उस पर अत्याचार किया, ऐसी गवाही देनेवाले पीडिता और उसके बहन के सबूत को न्यायालय में दर्ज किया. न्यायालय ने उसे ग्राह्य मानते हुए इस प्रकरण में पहले आरोपी सजा कायम रखने का निर्णय लिया है.

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